Mahi Jawai Project: राजस्थान के पाली, जालोर, सिरोही और बाड़मेर जिलों के लिए 7000 करोड़ की माही-जवाई जल परियोजना शुरू हुई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल से DPR तैयार कराने की मंजूरी, वाप्कोस को कार्यादेश।  

Rajasthan Water Crisis : राजस्थान के चार प्रमुख जिलों पाली, जालोर, सिरोही और बाड़मेर के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित माही-जवाई जल परियोजना को आखिरकार जमीन पर उतारने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल और बजट घोषणा के बाद इस महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में ठोस कदम उठाए जा चुके हैं। इस परियोजना की अनुमानित लागत 7000 करोड़ रुपये आंकी गई है, जो न केवल इन जिलों की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान बनेगी, बल्कि सिंचाई के लिए भी नए रास्ते खोलेगी। राज्य के जल संसाधन विभाग ने जयपुर में परियोजना की DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कराने की मंजूरी दे दी है।

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राजस्थान सरकार ने इस कंपनी को दिया काम

15.60 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और तकनीकी स्वीकृति पहले ही जारी की जा चुकी है। वाप्कोस लिमिटेड को कार्यादेश सौंपा गया है और कंपनी ने अपनी शुरुआती रिपोर्ट विभाग को सौंप दी है। परियोजना के तहत माही और सोम नदी के मानसूनी अधिशेष जल को जयसमंद, मातृकुंडिया, मेजा बांध जैसे जल स्रोतों के जरिए जवाई बांध तक पहुंचाया जाएगा। इसके बाद यहां से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति उन जिलों तक की जाएगी जहां सालों से जल संकट बना हुआ है।

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बांसवाड़ा और डूंगरपुर लोग कर रहे क्यों विरोध?

  • केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि यह योजना न केवल पीने के पानी की समस्या का समाधान करेगी, बल्कि लगभग 16,000 हेक्टेयर भूमि को दोबारा सिंचित क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकेगा। साथ ही यह परियोजना कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगी।
  • हालांकि, इस परियोजना को लेकर कुछ विरोध की आवाजें भी उठ रही हैं। बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों के कुछ ग्रामीण संगठनों का मानना है कि माही बांध का पानी पहले उनके क्षेत्र को मिलना चाहिए, जहां अभी भी सिंचाई की जरूरतें अधूरी हैं। इस बीच, जालोर के सांसद लुंबाराम चौधरी ने लोकसभा में यह मुद्दा उठाया था और पूर्व में हुए समझौतों का हवाला देकर माही व कडाणा बांध से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की थी।