सार
मां के बिना यह पूरा संसार अधूरा है। इसलिए आज उस मां के लिए पूरी दुनियाभर में मदर्स डे मनाया जा रहा है। आपने मां की कई काहनियां सुनी होंगी। हम आपको एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं जो दसवीं तक नहीं पढ़ी लेकिन बेटियों को बना दिया आईएएस अफसर
जयपुर. कहते हैं कि जीवन में माँ का होना बेहद जरूरी है। अब जब जीवन में मां का यह नाम हो और उसके पीछे कोई संघर्ष नहीं हो ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। असल मायने में व्यक्ति की सफलता के पीछे सबसे बड़ा किरदार उसकी मां ही होती है।आज ुन पर चर्च चुरू की रहने वाली सुशीला राजपाल की। जिनकी बड़ी बेटी सुनीता कोऑपरेटिव बैंक में मैनेजर है। दूसरी बेटी मंजू भारतीय प्रशासनिक सेवा में और तीसरी बेटी अंजू राजस्थान प्रशासनिक सेवा में नौकरी लगी हुई है।
मां छठी क्लास तक पढ़ीं और बेटियां बड़ी अफसर
सुशीला राजपाल की बेटियां बताती है कि मां ने तो केवल छठी क्लास तक पढ़ाई की लेकिन वह हमारी पढ़ाई को लेकर हमेशा गंभीर रही। हमारी पढ़ाई के चलते उन्होंने बाहर जाना तक छोड़ दिया। आज इसी बात का नतीजा है कि हम इतने बड़े पदों पर नौकरी कर रहे हैं।
मां कहती बेटियां बेटों की तरह
बेटी सुनीता रहती है कि माँ हमेशा कहती थी कि बेटियां भी बेटों की तरह होती है। यह मापदंड ही गलत है। क्योंकि एक पढ़ी लिखी हुई बेटी महिला अफसर बन सकती है और एक पढ़ी लिखी हुई बहू पति के पास जॉब नहीं होने पर घर चला सकती है तो यह मापदंड पूरी तरह से गलत है। सुनीता बताती है कि हम तीनों बहनों ने घर पर पढ़ाई करके ही नौकरी हासिल की। शुरुआत की पढ़ाई तो चुरू की सरकारी स्कूलों में रहकर पूरी की। आज माँ की बदौलत ही हम यहां तक पहुंचे हैं।