सार

राजस्थान उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद सरकारी कर्मचारियों ने पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है। प्रशासनिक कामकाज ठप, अधिकारी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े।

टोंक. राजस्थान के देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा द्वारा एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना ने राज्यभर में हंगामा मचा दिया है। इस घटना के बाद, प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी नाराजगी जताते हुए पेन डाउन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के करीब 927 अधिकारियों के साथ-साथ 35,000 से अधिक अन्य सरकारी कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर दिया है, जिसमें पटवारी, तहसीलदार, ग्राम सेवक और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। जयपुर में आरएएस अधिकारियों ने महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया है । उन्होंने काली पट्टी बंधी है और विरोध कर रहे हैं।

जयपुर से लेकर जोधपुर में हड़ताल हुई शुरू

इस हड़ताल के चलते कई जिलों में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो गया है। जयपुर, जोधपुर में, सुबह 9:30 बजे जिला कलेक्ट्रेट के बाहर RAS अधिकारी एकत्रित हुए और उनके नेतृत्व में एक ज्ञापन संभागीय आयुक्त को सौंपा। ज्ञापन में अधिकारियों ने नरेश मीणा की तत्काल गिरफ्तारी और चुनाव ड्यूटी के दौरान एसडीएम पर हमले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। अधिकारियों का कहना है कि जब तक नरेश मीणा के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।

सभी सरकारी संगठन समर्थन करने पहुंच रहे

अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस हड़ताल में केवल प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, बल्कि सभी सरकारी कर्मचारी और अधीनस्थ सेवाएं भी उनका समर्थन कर रही हैं। इन संगठनों की संख्या आठ है। जोधपुर के RAS एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह के नेतृत्व में अधिकारियों ने अपनी मांगों को प्रमुखता से उठाया।

मुख्यमंत्री भजनलाल से कहा-कार्रवाई नहीं हुई तो स्ट्राइक जारी 

इस बीच, कोटा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की जनसुनवाई के दौरान भी अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने कहा कि नरेश मीणा के खिलाफ कार्रवाई न करने पर वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना था कि इस प्रकार की घटनाएं सरकारी कर्मचारियों का मनोबल गिराती हैं, और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

पूरे देश में हो रही इसकी चर्चा

यह मामला अब राजस्थान की राजनीति और प्रशासन में गंभीर चर्चा का विषय बन चुका है, और इसके परिणामस्वरूप राज्यभर में सरकारी कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री और राज्य सरकार इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। हालांकि कानून मंत्री ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

 

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