सार

सीकर के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य महाराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे सीकर के जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे और उनके नेतृत्व में रैवासा धाम ने वैष्णव संप्रदाय के महत्वपूर्ण आचार्यों को तैयार किया।

महंत राघवाचार्य महाराज का निधन: सीकर के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य महाराज का आज निधन हो गया। बताया जा रहा है कि सुबह बाथरूम में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी तबीयत बिगड़ गई। तत्काल उन्हें सीकर अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। महंत राघवाचार्य महाराज का अंतिम संस्कार आज रैवासा धाम में ही किया जाएगा।

महंत राघवाचार्य महाराज का जीवन धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में समर्पित रहा। वे सीकर के जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे, जो भगवान राम का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना 1570 में हुई थी और यह क्षेत्र की सबसे प्राचीन पीठों में से एक है। महंत राघवाचार्य महाराज की नेतृत्व में, रैवासा धाम ने वैष्णव संप्रदाय के महत्वपूर्ण आचार्यों को तैयार किया। वैष्णव संप्रदाय में 37 आचार्यों में से 12 आचार्य इसी गद्दी से जुड़े हुए थे।

 

 

राघवाचार्य महाराज ने महत्वपूर्ण धार्मिक पदों की रचना की

राघवाचार्य महाराज के नेतृत्व में रैवासा पीठ ने मधुर उपासना और धार्मिक प्रचार को बढ़ावा दिया। उन्होंने जनकपुर तक गाए जाने वाले होली के पद और अग्रदेवाचार्य महाराज द्वारा बनाए गए महत्वपूर्ण धार्मिक पदों की रचना की। उनके योगदान और शिक्षाओं ने न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि पूरे देश के अनुयायियों को प्रभावित किया है।

राघवाचार्य महाराज की अंतिम विदाई

उनके निधन से धार्मिक समुदाय में एक बहुत बड़ा खालीपन पैदा हो गया है। उनके लाखों अनुयायी और भक्त आज रैवासा धाम में उनकी अंतिम विदाई में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

राघवाचार्य महाराज का रामजन्म भूमि आंदोलन से संबंध

बता दें कि रैवासा पीठाधीश्वर को राम मंदिर में जाने का न्योता मिला था। इसके अलावा उन्होंने एक बार मीडिया को दिए 1 इंटरव्यू में बताया था कि 1984 में वो रामजन्म भूमि आंदोलन जुड़े थे। तब एक दिन में 10 से ज्यादा सभाओं में बोलना पड़ता था। इसके वजह से कई बार उनकी आवाज तक नहीं निकलती थी।

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