सार
राजस्थान सरकार ने ओबीसी आरक्षण के तहत उम्र में मिलने वाली 5 साल की छूट को खत्म कर दिया है। जिसके चलते विपक्ष ने भाजपा सरकार पर जुबानी हमला शुरू कर दिया है।
जयपुर. राजस्थान सरकार ने पुलिस भर्ती में मिलने वाले ओबीसी आरक्षण को खत्म कर दिया है। पहले ओबीसी में आनेवाले कैंडिडेट को 5 साल की छूट मिलती थी। लेकिन अब वह बंद कर दी है। जिसके चलते सोशल मीडिया पर भी सियासी जंग छिड़ गई है। इस मामले में अब विधानसभा में भी हंगामा शुरू हो गया है।
चार लाख भर्ती की घोषणा
राजस्थान सरकार ने हाल ही में चार लाख नई भर्तियों की घोषणा की है। सरकार आने वाले 4.5 साल में 4 लाख से ज्यादा पदों पर सरकारी भर्तियां करेगी। इसमें आरक्षण के नियमों का भी ध्यान रखा जाएगा।लेकिन इस बीच एक ऐसी भर्ती है। जिसमें ओबीसी आरक्षण को लेकर 5 साल की जो अनिवार्यता है। उसे फिलहाल खत्म कर दिया गया है। सोशल मीडिया पर राजस्थान सरकार के खिलाफ और पक्ष में लोग लगातार कमेंट कर रहे हैं ।
5 साल की छूट खत्म
दरअसल राजस्थान पुलिस सेवा में ओबीसी वर्ग को दी जाने वाली 5 साल की छूट को सरकार ने पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इस संबंध में कार्मिक विभाग ने नोटिस भी जारी कर दिया गया है। नोटिस जारी होने के बाद अब राजस्थान विधानसभा में हंगामा शुरू हो गया है। दरअसल पहले ओबीसी वर्ग को राजस्थान पुलिस सेवा भर्ती नियमों में 5 साल की छूट दी जाती थी। उदाहरण के तौर पर अगर सामान्य वर्ग की भर्ती आयु सीमा 20 साल होती थी तो ओबीसी वर्ग को 25 साल तक भर्ती के लिए वैध माना जाता था। लेकिन अब कार्मिक विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी दिनेश कुमार शर्मा ने आदेश निकाला है कि 16 अप्रैल 2021 से 5 वर्ष की यह छूट निरस्त कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार में 2021 के बाद कोई भी पुलिस भर्ती नहीं हुई है।
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कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला
इस मामले को लेकर कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ने भजनलाल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भजनलाल सरकार ने अपनी राजशाही सोच को दर्शा दिया है। हम लोग सदन से लेकर सड़क तक सरकार की कार्रवाई का विरोध करेंगे। उधर ओबीसी वर्ग के कई नेताओं ने भी कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी के सुर में सुर मिलाया है। उनका कहना है कि ओबीसी वर्ग पर यह कुठाराघात सहन नहीं होगा। सोशल मीडिया पर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार ने यह अच्छा कदम उठाया है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
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