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श्रीकृष्ण का चमत्कार : मूर्ति देखते ही औरंगजेब हुआ अंधा, मांगी थी पापों की क्षमा

krishna janmashtami 2025: राजस्थान के नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर की स्थापना 1672 में औरंगजेब के आक्रमण से मूर्ति की रक्षा के बाद हुई। जन्माष्टमी पर यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, और अंबानी परिवार की भी गहरी आस्था है।  

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Arvind Raghuwanshi
Published : Aug 14 2025, 11:48 AM IST| Updated : Aug 14 2025, 11:49 AM IST
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श्रीनाथजी मंदिर में कृष्ण 7 साल के बालक
Image Credit : Asianet News

श्रीनाथजी मंदिर में कृष्ण 7 साल के बालक

राजस्थान का नाथद्वारा शहर केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि भक्ति, इतिहास और चमत्कार का जीवंत उदाहरण है। यहां स्थित श्रीनाथजी मंदिर में भगवान कृष्ण 7 साल के बालक के रूप में विराजमान हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर यह मंदिर लाखों श्रद्धालुओं से भर जाता है, और इसकी कहानी सुनकर हर कोई भावुक हो उठता है।

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मूर्ति देखते ही हो गया था अंधा औरंगजेब
Image Credit : Asianet News

मूर्ति देखते ही हो गया था अंधा औरंगजेब

साल 1672 की बात है, जब दिल्ली के बादशाह औरंगज़ेब के शासन में मंदिरों पर खतरा मंडरा रहा था। उस समय श्रीकृष्ण की यह मूर्ति उत्तर प्रदेश के गोवर्धन पर्वत पर स्थापित थी। किंवदंती है कि औरंगज़ेब श्रीनाथजी के मंदिर को तोड़ने आया, लेकिन जैसे ही उसने बालक कृष्ण के इस स्वरूप को देखा, उसकी आंखों की रोशनी चली गई। घबराकर उसने अपने ताज और दाढ़ी में जड़ा हीरा भेंट कर क्षमा मांगी। आज भी श्रीनाथजी की मूर्ति की दाढ़ी में वही हीरा चमकता है।

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नाथद्वारा को ‘श्रीनाथजी की नगरी’ भी कहते
Image Credit : Asianet News

नाथद्वारा को ‘श्रीनाथजी की नगरी’ भी कहते

सुरक्षा और सम्मान की दृष्टि से वल्लभ संप्रदाय के आचार्यों ने निर्णय लिया कि श्रीनाथजी को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए। यात्रा के दौरान रथ नाथद्वारा में रुक गया और इसे ईश्वर की इच्छा मानते हुए यहां स्थायी मंदिर बना दिया गया। तभी से नाथद्वारा को ‘श्रीनाथजी की नगरी’ के नाम से जाना जाता है।

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 देश के वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र
Image Credit : Asianet News

देश के वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र

राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश के वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यहां जन्माष्टमी, अन्नकूट और अन्य पर्व बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस अवसर पर मंदिर को फूलों, लाइटों और रंग-बिरंगी साज-सज्जा से सजाया जाता है, और भगवान के श्रृंगार के अद्भुत दर्शन होते हैं।

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अंबानी परिवार यहां टेकता है माथा
Image Credit : Asianet News

अंबानी परिवार यहां टेकता है माथा

अंबानी परिवार की यहां गहरी आस्था है। मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और उनकी मां कोकिलाबेन कई बार यहां विशेष पूजा कर चुके हैं। उनका मानना है कि हर बड़े कार्य की शुरुआत श्रीनाथजी के आशीर्वाद से ही होनी चाहिए।

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चमत्कारों और भक्ति का प्रतीक है यह मंदिर
Image Credit : Asianet News

चमत्कारों और भक्ति का प्रतीक है यह मंदिर

जन्माष्टमी पर यहां आना केवल दर्शन करना नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक यात्रा को महसूस करना है जिसने भगवान कृष्ण के इस स्वरूप को नाथद्वारा तक पहुंचाया। यह मंदिर आज भी प्रेम, भक्ति और आस्था का अद्वितीय प्रतीक है।

About the Author

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Arvind Raghuwanshi
अरविंद रघुवंशी। 2012 से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं, 13 साल का अनुभव। 2019 से एशियानेट न्यूज हिंदी में बतौर सीनियर चीफ सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। हाइपर लोकल या कह लें स्टेट टीम को ये लीड कर रहे हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म (MJ) किया है। नेशनल, पॉलिटिक्स, क्राइम और फीचर स्टोरीज में लिखना पसंद है। दैनिक भास्कर के डिजिटल विंग, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रीय हिंदे मेल जैसे मीडिया संस्थानों में भी ये काम कर चुके हैं।
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