सार

हरियाणा के रेवाड़ी का एक युवक इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की तैयारी के लिए कोटा आने वाले छात्रों के लिए मिसाल है। ऐसा इसलिए कि जेईई की तैयारी के दौरान तनाव में आने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और घर लौट गया। आज करोड़ों के पैकेज पर जॉब कर रहा।

कोटा। राजस्थान के कोटा शहर में हर साल लाखों स्टूडेंट डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते हैं लेकिन कई स्टूडेंट्स तनाव में आकर सुसाइड कर लेते हैं या जिंदगी से हारकर अपराध का रास्ता चुन लेते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे स्टूडेंट की जो कोटा में पढ़ने आया लेकिन सफलता न मिलने पर काफी निराश हो गया। ऐसा भी समय आया जब वह तनाव में रहने लगा। लाइफ में जब कुछ समझ नहीं आया तो वह घर चला गया और फिर से जिंदगी का लक्ष्य तय किया और आज सालाना एक करोड़ के पैकेज पर सैलरी ले रहे हैं।

हरियाणा के दीपक राठी ने नहीं हारी हिम्मत 
हम बात कर रहे हैं हरियाणा के रेवाड़ी इलाके के रहने वाले दीपक राठी की। जो जेईई की तैयारी करने के लिए कोटा आया था लेकिन कुछ दिनों बाद ही उसका यहां दम घुटने लगा। न तो उसे खाना ठीक लगता और न ही नींद ढंग से आती थी। दीपक के पिता खेती करते थे। पहले तो वह अपने घरवालों को यह बताना चाहता था कि वह कोटा में नहीं रह सकता। लेकिन काफी पैसे लगाकर उसने एडमिशन लिया था इसलिए कुछ कह नहीं पा रहा था। फिर भी हिम्मत नहीं हारी।

पढ़ें होममेकर से बनी आईएएस ऑफिसर, दूसरे प्रयास में क्रैक किया यूपीएससी, जानिए IAS पुष्प लता की कहानी

इंजीनियरिंग छोड़ दूसरा लक्ष्य तय किया
वह काफी तनाव में रहने लगा। फिर उसने घर वालों से बात की और बताया कि कोटा में रहकर उससे तैयारी नहीं होगी और वह कोई दूसरी फील्ड में जाना चाहता है। परिवार वालों ने भी दीपक की बात समझी। फिर क्या था दीपक सब कुछ छोड़ कर वापस घर चला गया। हालांकि उसने एग्जाम दिया लेकिन पास नहीं हो पाया। इसके बाद उसने पायलट की ट्रेनिंग ली और संघर्ष किया। आज वह पायलट है और सालाना करीब 1 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा रहा है।

स्टूडेंट की सोच को पढ़ना जरूरी
वर्तमान में एजुकेशन सिटी कोटा में लगातार हो रहे सुसाइड पर दीपक का कहना है कि एक पंखे में लगने वाली स्प्रिंग स्टूडेंट को सुसाइड करने से नहीं रोक सकती। जरूरत है उनके दिमाग के अंदर से उस तनाव को निकालने की जिसे लेकर वह सुसाइड करने का सोच रहे हैं। हालांकि इस बात पर भी दीपक ने सहमति जताई है कि कोटा में स्टूडेंट्स के नंबर कम आने पर उनके बैच भी चेंज कर दिए जाते हैं।