सार
राजस्थान के एक मजदूर दंपति ने अपने बच्चों को गरीबी से उबारने की ठानी और दिनरात मेहनत-मजूदरी करके उनको पढ़ा-लिखाकर योग्य व्यक्ति बनाया। अब दंपत्ति के तीनों बेटों की सरकारी नौकरी लगी है।
सीकर. क्या कभी कोई सोच सकता है कि मजदूर पति-पत्नी के बेटे ऐसी सफलता ऐसी हासिल कर सकते हो कि उसके चर्चे केवल गांव में नहीं बल्कि चारों तरफ हो। ऐसा ही कुछ राजस्थान में हुआ है। यहां के झुंझुनू जिले के मजदूर पति-पत्नी के तीन बेटे सरकारी नौकरी लगे है। इसके बाद अब केवल झुंझुनू नहीं बल्कि पूरे राजस्थान में इनका नाम हो रहा है।
दिन-रात मेहनत करके बच्चों को पढ़ाया-लिखाया
हम बात कर रहे हैं फूलचंद के परिवार की। जो मूल रूप से झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी इलाके के रहने वाले है। इन्होंने अपनी पत्नी के साथ ईंट के भट्टों पर मजदूरी करके अपने परिवार को पाला और तीनों बेटों को पढ़ाई लिखाई करवाई। तीनों बेटों का नाम सुनील, अनिल और महेंद्र है। हालांकि उनकी एक बेटी रवीना भी है जो अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है।
पिता बोले-मैं नहीं चाहता था...मेरी औलाद मजदूरी करे
गरीब माता-पिता के तीनों बेटे रीट परीक्षा में पास होकर सरकारी नौकरी लग चुके हैं। जो राजस्थान के अलग-अलग जिलों में रहकर नौकरी कर रहे हैं। फूलचंद बताते हैं कि उनके परिवार के हालात भले ही कैसे रहे हो लेकिन उन्हें पता था कि यदि बेटों को मजदूरी के जीवन से छुटकारा दिलवाने है तो उन्हें पढ़ाई से जोड़ना होगा। ऐसे में उन्होंने अपने बेटों की पढ़ाई लगातार जारी रखी। बेटों की एजुकेशन के लिए हर संभव सुविधा भी मुहैया करवाई। इसके बाद उनके बेटों ने यह कीर्तिमान रच दिया।