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महिलाओं ने कान में फूंका ऐसा मंत्र MBA पास 29 साल का बिजनेसमैन बना गया लड़की, 100 पुरुषों के फोटो देखकर किया सिलेक्शन
ये हैं जोधपुर के रहने वाले MBA पास 29 साल के परफ्यूम बिजनेसमैन निखिल गांधी। ये अपनी परंपरा को बचाने लड़की बनने तक को तैयार हो गए। लेकिन जब ये दुल्हन बने, तो लोग उन्हें देखकर अचंभित हो गए।
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जोधपुर. ये हैं जोधपुर के रहने वाले MBA पास 29 साल के परफ्यूम बिजनेसमैन निखिल गांधी। ये अपनी परंपरा को बचाने लड़की बनने तक को तैयार हो गए। लेकिन जब ये दुल्हन बने, तो लोग उन्हें देखकर अचंभित हो गए। एकदम किसी खूबसूरत लड़की की तरह दिख रहे निखिल ने 2 करोड़ रुपए कीमत की 3 किलो ज्वेलरी पहनी हुई थी। जब वे शहर में निकले, तो सबकी नजरें उन पर टिकी हुई थीं। यह मौका था गणगौर पर्व पर यहां होने वाले परंपरागत फगड़ा घुड़ला मेले का। यह मेला पिछले 55 सालों से आयोजित हो रहा है। इस बार शोभायात्रा में 55 तरह की झांकियां शामिल रहीं, लेकिन सबसे आकर्षण का केंद्र निखिल रहे। यह पर्व महिलाओं की आजादी के तौर पर मनाया जाता है।
निखिल एक दिन में दुल्हन नहीं बन गए। इसके पीछे हफ्ते तक उन्हें तैयारियां करनी पड़ीं। फिर कार्यक्रम वाले दिन उनके श्रृंगार में करीब 5 घंटे का समय लगा। रात को करीब 10 बजे वे मेला पहुंचे।
फगड़ा घुड़ला मेले के लिए हर साल किसी पुरुष का सिलेक्शन किया जाता है, जो महिला का भेष धरे। इस बार जब निखिल से इस बारे में चर्चा की गई, तो उन्होंने हामी भर दी।
निखिल परफ्यूम के अपने पुश्तैनी बिजनेस को संभालते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी परंपरा को बचाने उन्होंने इसके लिए हां कर दी। सिलेक्शन के लिए लड़कों की पहले फोटो मंगाई जाती हैं। फिर उनमें से एक का सिलेक्शन होता है। इस बार 100 से अधिक फोटो आए थे। ट्रेनिंग के दौरान लड़कियों के तरह चलने और हाव-भाव सिखाया जाता है। सबसे पहले 1969 में लेखराज नामक शख्स ने महिला का भेष धरा था।
यह मेला एक ऐतिहासिक घटनाक्रम से जुड़ा है। 1545 में जोधपुर राज के संस्थापक राव जोधा के बेटे सातल मारवाड़ की गद्दी पर बैठे थे। इन पर अजमेर के शाही सूबेदार मीर घुड़ले खान, मल्लू खान और सीरिया खान ने हमला कर दिया था। वे अपने साथ महिलाओं को बंधक बनाकर ले गए थे। इसके बाद राव सातल ने अपने बेटों के साथ मिलकर युद्ध लड़ा और महिलाओं को आजाद कराया था। युद्ध में राव सातल और घुड़ले खान दोनों की मौत हो गई थी। युद्ध के बाद घुड़ले खान का सिर काटकर जोधपुर लाया गया था। तब से ये पंरपरा चली आ रही है।