सार

जोधपुर के तीन मित्रों ने मिलकर एक ऐसा रोबोट बनाया है जो भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह रोबोट, जिसे 'अश्वबोट' नाम दिया गया है, 100 किलो तक वजन ले जा सकता है और बिना किसी मानवीय सहायता के 20 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकता है।

फलोदी, जोधपुर के तीन मित्रों ने मिलकर एक अनूठा स्टार्टअप, डेफटेक एंड ग्रीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (डीजीपीएल) स्थापित किया है। इस स्टार्टअप ने हाल ही में सेना के लिए एक लेवल-ऑटोनॉमी रोबोट "अश्वबोट" विकसित किया है, जो एलन मस्क की टेस्ला कार से भी उन्नत माना जा रहा है।

सेना में इसका इस तरह होगा इस्तेमाल

अश्वबोट की क्षमता उल्लेखनीय है; यह 100 किलो तक सामग्री जैसे हथियार, मिसाइलें, और दवाइयां बिना किसी मानवीय सहायता के ले जा सकता है। इस रोबोट को विशेष रूप से रक्षा प्रयोगशाला (डीआरडीओ) द्वारा नाभिकीय विकिरण, रासायनिक और जैविक हमलों के खतरे के समय सैन्य सामग्री ट्रांसपोर्ट करने के लिए और भी उन्नत बनाया जाएगा।

एक दोस्त वकील तो दो पायलट

इस स्टार्टअप के पीछे के लोग मनीष चौधरी, भरत थानवी, और मधुकर मोखा हैं। मनीष, जो एक पूर्व एयरफोर्स पायलट हैं, ने सेना की जरूरतों को नजदीक से समझा। भरत एक वकील और मधुकर एक फार्मासिस्ट हैं। तीनों ने मिलकर डिफेंस स्टार्टअप की दिशा में कदम बढ़ाया।

ऐसे काम करेगा अश्वबोट

अश्वबोट में 7 हाईरेजोल्यूशन कैमरे, लाइट डिटेक्टिंग और रेंजिंग सेंसर, राडार, अल्ट्रासोनिक सेंसर और एआई तकनीक का उपयोग किया गया है। यह रोबोट 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 20 किलोमीटर तक चल सकता है। इसकी सुरक्षा प्रणाली भी खास है, क्योंकि इसे प्रोग्रामिंग के बाद केवल ओटीपी के माध्यम से खोला जा सकता है।

70 लाख है इसकी कीमत

अश्वबोट में 70 प्रतिशत भारतीय पुर्जे शामिल हैं, और इसकी वर्तमान कीमत लगभग 70 लाख रुपये है। वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने पर यह कीमत 20 प्रतिशत तक कम हो सकती है। यह सभी मौसम में काम करने की क्षमता रखता है और अपने आप चार्जिंग स्टेशन पहुंच सकता है। यह स्टार्टअप न केवल तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि देश की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखता है।