Jodhpur Soldier Martyred: लेह की बर्फीली ऊंचाइयों पर मौत को मात देने निकला जोधपुर का सपूत… लेकिन ऑपरेशन ‘स्रो लिओपार्ड’ के दौरान हमेशा के लिए चुप हो गया। 7 अगस्त को कोनारी गांव लौटेगा वीर हवलदार हरा राम…जहां तिरंगे में लिपटी होगी शहादत की कहानी।
Rajasthan Soldier Dies In Leh: राजस्थान के जोधपुर जिले के वीर सपूत हवलदार हरा राम ने ऑपरेशन स्रो लिओपार्ड (Operation Snow Leopard) के तहत लेह की दुर्गम पहाड़ियों में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। विषम परिस्थितियों में न्योमा सेक्टर (Northern Command) में ड्यूटी निभाते समय उनका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ा। 5 अगस्त को कमांड अस्पताल, चंडीमंदिर (Chandimandir Command Hospital) में उन्होंने अंतिम सांस ली।
क्या विषम मौसम बना वीर हवलदार की शहादत की वजह?
सूत्रों के अनुसार, ऊंचाई वाले इलाके में ऑक्सीजन की कमी, शून्य से नीचे तापमान और सैन्य दबाव ने हवलदार हरा राम की तबीयत को प्रभावित किया। हालांकि सेना ने अभी तक आधिकारिक तौर पर मौत के कारण की पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वह देश के लिए सीमा पर डटे रहे, अंतिम सांस तक।
7 अगस्त को कहां पहुंचेगा पार्थिव शरीर?
शहीद हवलदार का पार्थिव शरीर 7 अगस्त को सुबह 10 बजे उनके पैतृक गांव कोनारी (Konari Village, Jodhpur) पहुंचेगा। प्रशासन और सेना की ओर से उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी और हजारों ग्रामीण इस अंतिम दर्शन के गवाह बनेंगे।
गांव में मातम या गर्व-क्या सोच रहे हैं लोग?
कोनारी गांव में जैसे ही शहादत की खबर पहुंची, मातम की लहर दौड़ गई। परिजनों की आंखें नम हैं लेकिन साथ ही गांव को अपने लाल पर गर्व है। हर कोई यही कह रहा है-“जोधपुर का लाल अमर रहे।” वहीं भारतीय सेना को अपने बहादुर जवान पर गर्व है, जिसने देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया।
