Agra Wild Animal Attack News: आगरा के नौगवां गांव में एक मां ने शेरनी जैसी हिम्मत दिखाते हुए अपनी 3 साल की बेटी को जंगली जानवर के हमले से बचा लिया। संघर्ष में मां-बेटी घायल हो गईं, लेकिन समय रहते उनकी जान बच गई। गांव में दहशत का माहौल है।
Mother Saves Daughter From Wild Animal: मां के साहस और हिम्मत के किस्से अक्सर सुनने को मिलते हैं, लेकिन आगरा जिले से सामने आया यह मामला सचमुच दिल को छू लेने वाला है। यहां एक मां ने अपनी नन्ही बेटी को जंगली जानवर के हमले से बचाने के लिए खुद को ढाल बना दिया। निहत्थी होने के बावजूद उसने तीन से चार मिनट तक उस जानवर से संघर्ष किया और आखिरकार अपनी बेटी की जान बचा ली।
अचानक घर में घुस आया जंगली जानवर
यह घटना जैतपुर (बाह) क्षेत्र के नौगवां गांव की है। मंगलवार दोपहर करीब 1:30 बजे किसान आशीष कुमार की पत्नी रीमा घर के आंगन में बर्तन धो रही थी। पास ही तीन साल की बेटी अर्पिता खेल रही थी। तभी अचानक एक जंगली जानवर दीवार फांदकर घर में घुस आया और सीधे बच्ची पर झपट पड़ा।
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मां ने शेरनी की तरह किया मुकाबला
अर्पिता की चीख सुनते ही रीमा बिना देर किए सामने आ गई। जानवर ने बच्ची को पकड़कर खींचना शुरू किया, लेकिन मां शेरनी की तरह भिड़ गई। निहत्थी रीमा ने पूरी ताकत से संघर्ष किया। करीब तीन से चार मिनट तक चली इस जद्दोजहद में दोनों घायल हो गईं, मगर आखिरकार रीमा के साहस के आगे जंगली जानवर हार गया और भाग निकला।
तेंदुआ या सियार? ग्रामीणों में चर्चा
रीमा और बच्ची की चीख-पुकार सुनकर गांववाले भी मौके पर पहुंचे। शोर सुनकर जानवर जंगल की ओर भाग गया। चश्मदीदों में से कुछ ने उसे तेंदुआ बताया तो कुछ ने सियार। हालांकि वन विभाग का कहना है कि जैतपुर क्षेत्र में अब तक तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि नहीं हुई है।
मां-बेटी घायल, अस्पताल में इलाज जारी
हमले में अर्पिता के सिर और चेहरे पर गहरी चोटें आईं, जबकि रीमा के सिर और हाथों पर घाव हुए। दोनों को पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, फिर गंभीर हालत देखते हुए एसएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के मुताबिक फिलहाल दोनों की स्थिति स्थिर है।
गांव में दहशत, गश्त बढ़ाने की मांग
घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि खेतों और जंगलों की नजदीकी के कारण अक्सर जंगली जानवर दिखाई देते हैं, लेकिन घर के आंगन में हमला पहली बार हुआ है। लोगों ने वन विभाग से इलाके में गश्त और सुरक्षा इंतज़ाम बढ़ाने की मांग की है।
रीमा की हिम्मत बनी मिसाल
रीमा के साहस की हर कोई तारीफ कर रहा है। गांववालों का कहना है कि अगर वह जान की परवाह किए बिना बच्ची की ढाल न बनती, तो मासूम अर्पिता की जान बचाना मुश्किल हो जाता। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि संकट की घड़ी में मां सबसे बड़ी शक्ति होती है।
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