सार

मुगल तानाशाह औरंगजेब ने 1670 ई. में मथुरा में केशवदेव के मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया। उसके बाद, वहां एक शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया।

मथुरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मुगल तानाशाह औरंगजेब द्वारा मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के विध्वंस के बारे में 1920 के ऐतिहासिक रिकॉर्ड के आधार पर जानकारी प्रदान की। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी निवासी अजय प्रताप सिंह ने एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् के समक्ष सूचना का अधिकार (RTI ) दायर किया था। मैनपुरी निवासी ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के बारे में विशेष जानकारी मांगी थी, जहां 1670 ई. में शाही ईदगाह बनाने के लिए केशदेव के मंदिर को नष्ट कर दिया गया था।

मैनपुरी निवासी अजय प्रताप सिंह ने ASI से नवंबर 1920 में किए गए सर्वेक्षण का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था। उन्होंने ASI से कहा था कि उसे स्मारक के नाम की पूरी अधिसूचना विवरण प्रदान करें। इस पर आगरा के पुरातत्व विभाग ने बताया कि औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़कर बनवाई गई मस्जिद के स्थान पर ही शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण हुआ है।

RTI की रिपोर्ट

RTI की रिपोर्ट के मुताबिक कटरा टीले का हिस्सा, जो नजूल किरायेदारों की स्थिति में नहीं हैं।  उस जगह पर पहले केशवदेव का मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था । उस स्थान का इस्तेमाल औरंगजेब की मस्जिद के लिए किया गया था, जो इलाके में स्थित है। वहीं, मथुरा में प्रारंभिक और अंतिम अधिसूचना संख्या और तिथियां शामिल थीं। अपने जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 1920 के अपने सर्वेक्षण विवरण संलग्न किए। कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर को 39 स्मारकों के समूह में 37वें नंबर पर सूचीबद्ध किया गया था।

मुगल तानाशाह औरंगजेब फरमान

मुगल तानाशाह औरंगजेब ने 1670 ई. में मथुरा में केशवदेव के मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया। उसके बाद, वहां एक शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया। ऐसा माना जाता है कि हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई मस्जिद में औरंगजेब खुद नमाज पढ़ता था। मथुरा में यह विवाद 13.37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास 10.9 एकड़ जमीन है, जबकि शाही ईदगाह मस्जिद के पास ढाई एकड़ जमीन है। पूरी जमीन हिंदू पक्ष की है।

 

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