श्रीराम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहरने से अयोध्या भक्ति में डूब गई। हजारों श्रद्धालुओं ने जयघोष किया और समारोह सांस्कृतिक उत्सव में बदल गया। दूर-दूर से आए भक्तों ने इसे त्रेता युग जैसा क्षण बताया और मोदी-योगी की भूमिका की सराहना की।

अयोध्या। श्रीराम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहराए जाने का ऐतिहासिक पल पूरे अयोध्या को भक्ति भाव से भर गया। धर्मपथ और शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर श्रद्धालु जयघोष करते हुए उमड़ पड़े। राम नाम की गूंज से पूरा नगर भक्तिरस से सराबोर हो गया। लता मंगेशकर चौक पर हजारों लोग एकत्र होकर ध्वजारोहण का सीधा प्रसारण देखते रहे। जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा स्थापित की, पूरा जनसमूह भावुक होकर जय श्रीराम के नारों में डूब गया।

श्रद्धालुओं की उमंग, कहा- 'अयोध्या में त्रेता जैसा वैभव'

अयोध्या के आसपास के जिलों- सुल्तानपुर, बस्ती, अंबेडकर नगर, बाराबंकी और उत्तर भारत के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। श्रावस्ती से आए राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा कि वे 17 नवंबर से अयोध्या में हैं और इस क्षण को देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या का गौरव वापस लौटाया है और शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाया है। श्रावस्ती के ही विश्वनाथ जायसवाल ने बताया कि राम मंदिर निर्माण अपने आप में ऐतिहासिक है, और मोदी-योगी ने वह कार्य पूरा किया जो पहले कोई नहीं कर सका।

समारोह बना भक्ति, संस्कृति और भावनाओं का संगम

बिहार के गोपालगंज से हनुमान जी की वेशभूषा में पहुंचे एक रामभक्त ने नृत्य और भजन से माहौल को भक्ति रस में रंग दिया। दिल्ली से आई श्रद्धालु महिलाएं- मधु, धारणा, संतोष और पूजा ने कहा कि राम मंदिर परिसर पहुंचते ही उन्हें देवलोक जैसा अनुभव हुआ। पिछले 25 वर्षों से अयोध्या आने वाले संत रमाकांत शर्मा ने कहा कि अयोध्या आधुनिक भी बनी है और अब त्रेता युग की झलक भी दिखाती है। ढोल-मंजीरों की मधुर ध्वनि और संतों की टोली ने इस आयोजन को एक दिव्य सांस्कृतिक पर्व का रूप दे दिया। यह समारोह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि आस्था, इतिहास और आधुनिकता का जीवंत संगम बनकर उभरा, जिसने अयोध्या की आध्यात्मिक प्रतिष्ठा को फिर वैश्विक मंच पर स्थापित किया।