सार

अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन के दिन पास आने के साथ ही कई जगह से विरोध के स्वर भी तेज हो गए हैं। कई दलों के राजनेताओं ने तो राम मंदिर के उद्घाटन को भाजपा का कार्यक्रम घोषित किया है तो कुछ संत भी पीएम के प्राण प्रतिष्ठा करने का विरोध कर रहे हैं। 

अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी तेजी से चल रही है। 22 जनवरी को मंदिर का उद्घाटन होना है लेकिन उससे पहले कई संतों में नाराजगी के स्वर तेज होने लगे हैं। संतों का कहना है कि जब पीएम मोदी ही धर्माचार्यों का सारा काम करेंगे तो हमारा काम ही क्या है। वहीं तमाम राजनीतिक नेताओं ने भी राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम को भाजपा का आयोजन बताया है और प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होने की बात कही है।

 राम मंदिर उद्घाटन इस समय देशभर में सबसे महत्वपूर्ण विषय है जिसे लेकर आए दिन नई खबरें सामने आ रही हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन करीब आने के साथ ही कई विवाद भी जन्म लेने लगे हैं। ऐसे में अब संतों ने पीएम मोदी के रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने का विरोध शुरू कर दिया है। 

धर्माचार्यों का भी काम पीएम मोदी ही करेंगे तो हमारा क्या
जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने राम मंदिर उद्घाटन पीएम मोदी के हाथों कराने का विरोध किया है। शंकराचार्य ने कहा है कि पीएम मोदी राजनीतिक हस्ती हैं औऱ यह धार्मिक अनुष्ठान है। पीएम मोदी ही अगर धर्माचार्यों का भी काम करेंगे तो हम क्या करेंगे। यदि राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री ही करेंगे तो हम लोगों को क्या वहां बस ताली बजाने के लिए बुलाया जा रहा है। 

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा राजनीतिक कार्यक्रम
उत्तराखंड पीठ के 1008 शंकराचार्च अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि अर्धनिर्मित मंदिर के उद्घाटन भाजपा सरकार आने वाले चुनाव में लाभ हासिल करने के लिए किया जा रहा है। राम मंदिर उद्घाटन में परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर में गर्भगृह का फर्श बन चुका है और पिलर भी खड़े हो चुके हैं। मंदिर का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है ऐसे में उसका उद्घाटन करने धार्मिक परंपराओं के अनुरूप नहीं है।