भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे 5 सितंबर को अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर जाएंगे। विशेष पूजा-अर्चना और भोज का आयोजन होगा। जानिए इस यात्रा का पूरा शेड्यूल और भारत-भूटान संबंधों का महत्व।

अयोध्या। भारत और भूटान के रिश्ते दशकों से मजबूत और विश्वास से भरे हुए हैं। इन्हीं रिश्तों को और गहरा करने के लिए भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे 5 सितंबर 2025 को अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर पहुँचेंगे। इस दौरान वे भगवान रामलला के दर्शन करेंगे और मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। अयोध्या के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फंडे ने बताया कि भूटानी प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया जाएगा और उनके सम्मान में एक विशेष भोज का आयोजन भी होगा।

कितने दिन की यात्रा पर भारत आए हैं भूटान के प्रधानमंत्री?

तोबगे अपनी पत्नी ओम ताशी डोमा के साथ 3 से 6 सितंबर तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। यह यात्रा गया, अयोध्या और दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण शहरों को शामिल करती है। दिल्ली प्रवास के दौरान वे विदेश मंत्री एस. जयशंकर और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। यह कदम भारत-भूटान के बीच मजबूत होती कूटनीतिक साझेदारी का बड़ा संकेत माना जा रहा है।

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राम जन्मभूमि मंदिर का दौरा क्यों है खास?

अयोध्या का राम जन्मभूमि मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक महत्व रखता है। प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे का इस मंदिर में आकर पूजा करना एक तरह से भारत की आध्यात्मिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान देगा। इस दौरे से यह भी संकेत मिलता है कि भूटान और भारत के रिश्ते सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आधार पर भी गहरे हैं।

क्या यह यात्रा भारत-भूटान रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत करेगी?

फरवरी 2025 में भी शेरिंग तोबगे भारत आए थे और स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप (SOUL) के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। लगातार हो रही ये यात्राएँ दोनों देशों के बीच विश्वास और साझेदारी की बढ़ती मजबूती को दर्शाती हैं। अयोध्या में उनका यह दौरा धार्मिक पर्यटन को भी नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।

भव्य तैयारियां और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

अयोध्या प्रशासन ने इस अवसर के लिए शहर को सजाने और सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। राम जन्मभूमि परिसर में विशेष सजावट की जाएगी। प्रधानमंत्री तोबगे का स्वागत राजकीय प्रोटोकॉल के साथ किया जाएगा और दोपहर तक उनका अयोध्या से प्रस्थान तय है। भूटान के प्रधानमंत्री का यह दौरा न केवल धार्मिक महत्व का है बल्कि यह भारत-भूटान की गहरी मित्रता और सांस्कृतिक कूटनीति का प्रतीक भी है। अब सबकी निगाहें इस ऐतिहासिक पल पर टिकी हैं, जब एक पड़ोसी देश का शीर्ष नेता भगवान रामलला के दर्शन कर अपनी श्रद्धा प्रकट करेगा।