बुलंदशहर एनएच-91 गैंगरेप मामले में 9 साल बाद इंसाफ मिला। कोर्ट ने मां-बेटी से दुष्कर्म करने वाले सभी 5 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। फॉरेंसिक सबूतों के आधार पर अदालत ने सख्त फैसला दिया।
बुलंदशहर। नेशनल हाईवे पर सफर कर रहे एक परिवार की जिंदगी को दहला देने वाले जघन्य अपराध में आखिरकार न्याय की मुहर लग गई है। बुलंदशहर के एनएच-91 गैंगरेप मामले में अदालत ने सोमवार को सभी पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह फैसला न सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए राहत है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि ऐसे दरिंदों के लिए कानून में कोई नरमी नहीं है।
कैसे हुई थी दिल दहला देने वाली वारदात
यह भयावह घटना 29 जुलाई 2016 की है, जब नोएडा से शाहजहांपुर जा रहा पांच सदस्यों का एक परिवार बुलंदशहर के कोतवाली देहात क्षेत्र में एनएच-91 पर दोस्तपुर गांव के पास पहुंचा था। आरोपियों ने सड़क पर लोहे की रॉड रखकर कार को रुकवा लिया। इसके बाद पूरे परिवार को जबरन गाड़ी से उतारकर पास के खेतों में ले जाया गया।
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मां-बेटी के साथ की गई बर्बरता
खेतों में ले जाकर आरोपियों ने मां और उसकी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान परिवार के अन्य सदस्य असहाय स्थिति में कुछ भी नहीं कर सके। वारदात के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी और मामला लंबे समय तक चर्चा में रहा।
फॉरेंसिक सबूत बने सजा की मजबूत कड़ी
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता वरुण कौशिक ने फैसले के बाद बताया कि इस केस में फॉरेंसिक साक्ष्य बेहद अहम साबित हुए। पीड़िता की मां के कपड़ों से एक आरोपी का डीएनए मिलना निर्णायक सबूत बना, जिसके आधार पर अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई।
अदालत का सख्त संदेश
वरुण कौशिक ने कहा कि कोर्ट ने साफ संदेश दिया है कि ऐसे अपराधियों को समाज से दूर रखना जरूरी है। अदालत ने सभी पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए कानून बेहद सख्त है।
एक आरोपी की जेल में हो चुकी है मौत
इस मामले में कुल छह आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन ट्रायल के दौरान 2019 में एक आरोपी की जेल में मौत हो गई थी। इसके बाद शेष पांच आरोपियों के खिलाफ सुनवाई जारी रही और अब अदालत ने अंतिम फैसला सुनाया है।
9 साल बाद मिला न्याय
करीब नौ साल बाद आए इस फैसले ने एक बार फिर साबित किया है कि भले ही न्याय में समय लगे, लेकिन सच और सबूत के दम पर दोषियों को सजा जरूर मिलती है। यह फैसला पीड़ित परिवार के घावों पर मरहम है और समाज के लिए एक कड़ा चेतावनी संदेश भी।
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