Uttar Pradesh conversion racket: उत्तर प्रदेश के उतरौला में छांगुर बाबा का मामला धर्मांतरण, दहेज और एटीएस की जांच के साथ उलझता जा रहा है। क्या सबीहा पर दबाव है? क्या छांगुर के पीछे कोई और है?
Chhangur Baba conversion case: उत्तर प्रदेश के उतरौला से उठा छांगुर बाबा का मामला अब कई चौंकाने वाले मोड़ों पर पहुंच चुका है। धर्मांतरण, दबाव, दहेज और सगाई के साथ-साथ एटीएस (ATS) की सक्रियता ने इस पूरे मामले को और रहस्यमयी बना दिया है। एक सामान्य बाबा कैसे इतना संगठित नेटवर्क चला रहा था, यह सवाल अब हर किसी को हैरान कर रहा है।
बेटी समाले कब बनी सबीहा? क्या उसे भी बनाया गया मोहरा?
धर्म परिवर्तन का यह मामला नीतू और नवीन रोहरा तक ही सीमित नहीं रहा। उनकी बेटी समाले को भी जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर ‘सबीहा’ बना दिया गया। 2015 में दुबई की संस्था IACAD से धर्मांतरण का प्रमाणपत्र तक बनवा दिया गया। जैसे ही सबीहा 18 साल की हुई, उसकी मंगनी छांगुर की बेटी के बेटे से कर दी गई।
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दहेज में 5 करोड़ का शोरूम? कौन है इस ‘नवाबाना निकाह’ के पीछे?
बाबा के करीबी बब्बू खान का दावा है कि सबीहा की शादी के लिए दहेज में उतरौला में 5 करोड़ रुपये की लागत से एक शानदार शोरूम बनवाया गया। जमीन भी मुख्य मार्ग पर खरीदी गई। पूरी शादी अगस्त में होने वाली थी, लेकिन तभी एटीएस की रेड ने सबकुछ पलटकर रख दिया।
छांगुर का ऐसा असर, हर ‘हुक्म’ पर चलता था पूरा तामील
छांगुर बाबा एंड्रॉइड फोन नहीं रखता था। उसका पुराना कीपैड मोबाइल ही उसका 'हथियार' था। अजीब बात यह है कि उसे किसी भी कॉल की पहचान सिर्फ आवाज़ से हो जाती थी। सूत्र बताते हैं कि वो सिर्फ "हुक्म... तामील..." कहता था, और उसी पल उसका चेहरा बदल जाता था। कोठी के निर्माण में एक महीने में 36 बार बदलाव, इशारा है कि बाबा खुद नहीं, कोई और उसकी डोर खींच रहा था।
क्या सबीहा पर दबाव है? घर वापसी का विकल्प खुलेगा?
फिलहाल सबीहा लखनऊ के खुर्रमनगर में बाबा के अन्य परिजनों के साथ रह रही है। एटीएस को शक है कि वह मानसिक या सामाजिक दबाव में है। क्या वह वास्तव में इस्लाम में रहना चाहती है, या फिर अपने मूल धर्म में लौटना चाहती है? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए उससे पूछताछ की तैयारी चल रही है।
गोंडा से अयोध्या तक फैला छांगुर का नेटवर्क?
छांगुर का नेटवर्क सिर्फ उतरौला तक सीमित नहीं रहा। गोंडा के रेतवागाड़ा गांव में रमजान नाम के व्यक्ति के जरिए उसने गहरी पैठ बना ली थी। वजीरगंज और नवाबगंज तक उसने अपना प्रभाव फैलाना शुरू कर दिया था। एटीएस अब गोंडा में छापा मार सकती है, जिससे उसके नेटवर्क की और परतें खुल सकती हैं।
छांगुर सिर्फ चेहरा था या कोई बड़ा मास्टरमाइंड भी?
कई सूत्रों का दावा है कि छांगुर के पीछे कोई बड़ा मास्टरमाइंड है। बाहर से फोन आने पर वह तुरंत आदेश का पालन करता था। बाबा की मोबाइल में छिपा डेटा इस पूरे नेटवर्क की कुंजी हो सकता है। सवाल ये है कि क्या छांगुर एक मोहरा था, और कहीं कोई बड़ा खेल खेला जा रहा था?
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