CM Yogi Janta Darshan Viral Video: कानपुर की मासूम मायरा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि वह पढ़कर डॉक्टर बनना चाहती है। सीएम ने मुस्कुराते हुए चॉकलेट दी और अधिकारियों को तुरंत एडमिशन कराने का निर्देश दिया। परिवार ने जताया आभार।
Mayra Meets CM Yogi Video: सोमवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘जनता दर्शन’ का माहौल तब और भी खास हो गया, जब कानपुर से आई मासूम मायरा अपनी मां नेहा के साथ मंच पर पहुंची। मायरा के एडमिशन की गुहार सुनकर सीएम ने उससे मुस्कुराते हुए हालचाल पूछा। तभी उन्होंने मज़ाकिया लहजे में पूछा “बेटा, बड़ी होकर क्या बनोगी?” बिना झिझक मायरा ने जवाब दिया “डॉक्टर।” यह सुनकर मुख्यमंत्री भी मुस्कुरा उठे और तुरंत अधिकारियों को आदेश दिया कि बच्ची का एडमिशन कराया जाए।
सीएम ने मायरा से पूछा- स्कूल जाओगी, क्या बनोगी?
‘जनता दर्शन’ में मायरा की मां नेहा ने सीएम को बताया कि आर्थिक स्थिति के चलते बच्ची का एडमिशन अटका हुआ है। मुख्यमंत्री ने बच्ची से सीधे पूछा “स्कूल जाओगी, किस क्लास में पढ़ोगी? और बड़ी होकर क्या बनोगी?” इस पर मायरा ने तुरंत कहा “डॉक्टर।” बच्ची की मासूमियत देखकर सीएम ने उसे चॉकलेट दी और अधिकारियों को निर्देश दिया कि तुरंत एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की जाए।
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मायरा के परिवार ने जताया आभार
मायरा की मां नेहा ने बताया कि वह बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित थीं, लेकिन मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली। उन्होंने कहा कि सीएम ने हमारी बात बड़े ध्यान से सुनी और तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया। परिवार ने मुख्यमंत्री की सहजता और संवेदनशीलता की खुलकर तारीफ की।
पहले भी पूरी हुईं मासूम इच्छाएँ
यह पहली बार नहीं है जब किसी बच्ची की शिक्षा से जुड़ी समस्या मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से सुलझी हो।
- मुरादाबाद की वाची: जून में वाची अपने माता-पिता के साथ ‘जनता दर्शन’ में पहुंची थीं। मुख्यमंत्री ने तीन घंटे के भीतर उसका एडमिशन आरटीई के तहत एक प्रतिष्ठित स्कूल में कराया।
- गोरखपुर की पंखुड़ी त्रिपाठी: जुलाई में पंखुड़ी ने फीस माफी की गुहार लगाई थी। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया और स्कूल ने पूरी फीस माफ कर दी। अब पंखुड़ी निर्बाध रूप से पढ़ाई कर रही हैं।
शिक्षा को लेकर संवेदनशील हैं मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘जनता दर्शन’ न सिर्फ़ जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान का मंच बन चुके हैं, बल्कि बच्चों के सपनों को नई उड़ान देने का भी जरिया साबित हो रहे हैं। मायरा, वाची और पंखुड़ी की कहानियाँ इसका जीता-जागता उदाहरण हैं।
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