सार

उत्तर प्रदेश के गंगा तिवारीपुर गांव में एक गाय बिना बछड़ा जनमे रोज़ाना चार लीटर दूध दे रही है। यह साहीवाल नस्ल की गाय है और पिछले छह महीने से दूध दे रही है, जिससे गांव वाले हैरान हैं।

लखनऊ. भारत में कामधेनु को देवी का दर्जा प्राप्त है। हर शुभ अवसर पर कामधेनु की पूजा की जाती है। श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। भारत में कई नस्लों की भारी मांग है। इतना ही नहीं इन नस्लों के दूध की कीमत भी बहुत ज्यादा है। लेकिन यहां एक कामधेनु पूरे गांव वालों के लिए आश्चर्य का कारण बनी हुई है। क्योंकि इस गाय ने अब तक बछड़े को जन्म नहीं दिया है। लेकिन रोज़ाना चार लीटर दूध दे रही है। यह अद्भुत कामधेनु उत्तर प्रदेश के गंगा तिवारीपुर गांव में है। 

सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. ओंकारनाथ त्रिपाठी अपने विश्राम जीवन में कई गायों को पालते हैं। डेयरी का काम करते हैं। इनमें से साहीवाल नामक नस्ल अब गांव में आश्चर्य का कारण बनी हुई है। यह ढाई साल की गाय पिछले 6 महीनों से दूध दे रही है। लेकिन अब तक इस गाय ने बछड़े को जन्म नहीं दिया है। फिर भी दूध दे रही है।

6 महीने पहले साहीवाल नस्ल की गाय ने दूध देना शुरू किया। शुरुआत में 250 मिलीलीटर दूध देना शुरू किया। दिन-ब-दिन दूध की मात्रा बढ़कर 4 लीटर हो गई। पिछले कुछ महीनों से रोज़ाना 4 लीटर दूध दे रही है। अन्य गायों की तरह इस साहीवाल नस्ल की गाय की भी देखभाल की जाती है। इसे अन्य गायों की तरह ही चारा, घास, पानी दिया जाता है, ऐसा ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया।

इस गाय के दूध की जांच कराई गई है। इस दौरान डॉक्टरों ने बताया कि अन्य गायों के दूध की तुलना में इसमें फैट की मात्रा ज्यादा है। फिलहाल दूध दे रही यह गाय जब बछिया थी, तब इसकी मां की मृत्यु हो गई थी। इसलिए इसकी ज्यादा देखभाल की गई, ऐसा ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया।

बछड़े को जन्म दिए बिना दूध दे रही यह गाय अब गांव भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसलिए रोज़ाना गांव वाले ओंकारनाथ के घर आते हैं। इस बारे में पूछताछ करते हैं। कई लोग इसे साक्षात कामधेनु बता रहे हैं। इतना ही नहीं, आने वाले ग्रामीण गाय को फल भी खिलाते हैं। बिना बछड़े को जन्म दिए दूध देना गाय में कुछ हार्मोनल समस्याओं के कारण होता है, ऐसा पशु चिकित्सकों ने बताया है।