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काशी में मां गंगा की गोद में तारों से भरा आसमान उतर आया, भारतीय परंपरा का अद्भुत नजारा देख सभी बोल पड़े: अलौकिक...अद्भुत...
Dev Deepawali in Varanasi: काशी के अर्धचंद्राकार घाटों पर जब दीपों की माला पहने हुए मां गंगा का श्रृंगार हुआ तो अद्भुत छठा बिखरी। ऐसा लगा कि आसमां से तारे जमीन पर उतर आए हैं। इस अलौकिक दृश्य को देखने बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी मेहमान पहुंचे।
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ये नजारा 27 नवंबर (सोमवार) को दिखा। मान्यता है कि खुद भगवान देव दीपावली मनाने स्वर्ग से काशी के घाटों पर उतरते हैं। काशी में 21 लाख दीपों से घाटों को रोशन किया गया। इनमें एक लाख दीप गाय के गोबर के बने थे। देव दीपावली पर लाखों पर्यटक पहुंचे और इस अद्भुत दृश्य के गवाह बने।
विश्वविख्यात काशी की देव दीपावली का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नमो घाट से किया। यहां मुख्यमंत्री 70 देशों के राजदूत और विदेशी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पहला दीप जलाया। इसके बाद बाकी घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन शुरू हुआ।
उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर 85 घाटों की श्रृंखला पर इस साल 12 लाख से अधिक दीपों को प्रज्जवलित किया गया। पूरी काशी में 21 लाख से अधिक दीप काशीवासी घाटों, कुंडों, तालाबों और सरोवरों पर प्रज्जवलित किया। गंगा पार रेत पर भी दीपक रोशन किए गए।
काशी के घाटों की इस अद्भुत दृश्य को देखने देश विदेश से पर्यटक काशी पहुंचे हैं। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद पर्यटकों की रिकॉर्ड आमद हुई है। देव दीपावली पर होटल, गेस्ट हाउस, नाव, बजड़ा, बोट व क्रूज़ लगभग पहले से बुक व फुल हो गए थे।
योगी सरकार ने चेत सिंह घाट पर लेजर शो कराया। काशी के घाटों के किनारे सदियों से खड़ी ऐतिहासिक इमारतों पर धर्म की कहानी लेज़र शो के माध्यम से जीवंत हुई। पर्यटक गंगा पार रेत पर शिव के भजनों के साथ क्रैकर्स शो का भी आनंद लिया।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर को विशाखापट्टनम के एक भक्त द्वारा 11 टन फूलों से सजाया गया है। गंगा द्वार पर लेज़र शो के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ धाम पर आधारित काशी का महत्व और कॉरिडोर के निर्माण संबंधित जानकारी लेज़र शो के माध्यम से दिखाई गई।
विश्वविख्यात देवदीपावली पर साक्षी बनने के लिए 70 देशों के राजदूत काशी आए। इनके साथ ही 150 विदेशी डेलीगेट्स और परिजन भी देव दीपावली का दिव्य नजारा देखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इनका स्वागत किया।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सभी मेहमान देव दीपावली के अविस्मरणीय पलों के साक्षी बने। मेहमान दोपहर बाद एयरपोर्ट से नमो घाट पहुंचना शुरू हो गए। यहां से क्रूज़ पर सवार होकर देव दीपावली के भव्य नज़ारा देखा। भारतीय परंपरानुसार एयरपोर्ट पर मेहमानों का स्वागत किया गया। विदेशी मेहमान लेज़र और क्रैकर शो का भी लुफ्त उठाया। क्रूज़ पर मेहमान बनारसी खानपान और कुल्हड़ वाली चाय की भी चुस्की ली।
आध्यात्मिकता के साथ राष्ट्रवाद व सामाजिकता की भी झलक देव दीपावली में दिखी। दशाश्वमेध घाट की आरती रामलला को समर्पित थी। यहां रामलला व राम मंदिर की झलक मिली। दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा अमर जवान ज्योति की अनुकृति को अंतिम रूप दिया गया है। भारत के अमर वीर योद्धाओं को 'भगीरथ शौर्य सम्मान' से सम्मानित भी किया जाता है। 21 अर्चक व 51 देव कन्याएं रिद्धि सिद्धि के रूप में दशाश्वमेध घाट पर महाआरती किया, जो नारी शक्ति का भी संदेश दिया।
दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की दीपावली होती है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को मनाने के लिए देवता स्वर्ग से काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। ये पर्व काशी की प्राचीन संस्कृति का खास अंग है।
देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है कि जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया और उनको मारने लगा तब भगवान विष्णु ने इस क्रूर राक्षस का वध इसी दिन किया था और देवताओं ने दीपावली मनाई थी। वहीं ऐसी भी मान्यता है कि काशी नरेश ने अपने शहीद सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी। घाटों पर गंगा की महाआरती में लोग मानों आस्था के समुंद्र में गोते लगाते हैं। पंच गंगा घाट से शुरू हुई देव दीपावली का दीप आज काशी के सभी घाटों पर जगमगाने लगी है।
कार्तिक मास के इस दिन दीप दान करने से पूर्वजों को तो मुक्ति मिलती है और साथ में ही दीपदान करने वाले श्रद्धालु को भी मोक्ष का मार्ग मिलता है। कार्तिक मास को भगवान विष्णु की आराधना का माना जाता है, लेकिन भगवान शिव को विष्णु और मां गंगा अति प्रिय हैं। काशी शिव की नगरी कहलाती है, इसलिए इस महाआरती के दिन लाखों श्रद्धालु इस अलौकिक पल का हिस्सा बनना चाहते हैं।