सार
यूपी के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी नहीं रहे। 88 वर्ष की उम्र में मंगलवार शाम को उन्होंने अंतिम सांस ली। बीते कुछ वर्षों से वह राजनीति से दूर हो गए थे। इसकी वजह उनकी अधिक उम्र बताई जाती है।
गोरखपुर। यूपी के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी नहीं रहे। 88 वर्ष की उम्र में मंगलवार शाम को उन्होंने अंतिम सांस ली। बीते कुछ वर्षों से वह राजनीति से दूर हो गए थे। इसकी वजह उनकी अधिक उम्र बताई जाती है। अपराध की दुनिया में मशहूर होने के बाद उन्होंने सियासत में एंट्री मारी। हरिशंकर तिवारी यूपी के ऐसे पहले बाहुबली थे, जो जेल में रहते हुए माननीय बने थे। कहा जाता है कि उन्होंने की अपराध की दुनिया से सियासत में प्रवेश का द्वार खोल दिया। बाद के वर्षों में सियासत में अपराधियों की इंट्री आम रही।
एक दौर में कहा जाता था यूपी का डॉन
यूपी के पूर्वांचल में हरिशंकर तिवारी ब्राह्मण राजनीति के प्रतीक के तौर पर उभरे थे। एक दौर ऐसा भी था। जब उन्हें यूपी के डॉन की संज्ञा भी दी गई थी। वर्ष 1997 से लेकर 2007 तक जिस दल की भी सरकार बनी। हरिशंकर तिवारी उस दल में मंत्री बनें। चाहे वह कल्याण सिंह की सरकार हो या फिर मुलायम सिंह सीएम बने हों। तिवारी 5 बार राज्य सरकार में मंत्री बने। वह यूपी के पहले ऐसा नेता थे, जिन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीता था और पहली बार विधायक बने। वर्ष 1985 में वह चिल्लूपार से विधायक बने थे, जबकि बांदा जेल में बंद तिवारी पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी प्रचलित थी।
- हरिशंकर तिवारी का जन्म वर्ष 1985 में बड़हलगंज के टांड़ा गांव में हुआ था।
- वह भोलानाथ तिवारी और गंगोत्री देवी के बेटे थे।
- नेशनल इंटर कॉलेज से उन्होंने हाईस्कूल तक की पढ़ाई की।
- गोरखपुर के सेंट एंड्रयूज इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट।
- गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीए किया।
- राजनीति शास्त्र और अंग्रेजी में गोविवि से एमए भी किया।
- हरिशंकर तिवारी अपने जीवन का पहला चुनाव हार गए थे।
- वर्ष 1984 में वह महराजगंज लोकसभा सीट से निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में खड़े हुए थे।
- पर उन्हें जीत नहीं मिली।
- साल 1985 में जेल में रहते हुए चिल्लूपार विधानसभा से चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे।
- कांग्रेस के टिकट पर सल 1989, 1991 और 1993 में चिल्लूपार से एमएलए बने।
- 1997 में भी कांग्रेस से चुनाव लड़कर वह जीते।
- 1997 में अखिल भारतीय लोंकतांत्रिक कांग्रेस की स्थापना।
- जगदम्बिका पाल, श्याम सुंदर शर्मा, बच्चा पाठक और राजीव शुक्ला के साथ मिलकर की।
- साल 2002 में लोकतांत्रिक कांग्रेस से चुनाव लड़कर विजयी रहे।
- साल 2007 और 2012 में चुनाव हार गए।
- फिर उन्होंने यह सीट अपने छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी को सौंप दी।
- साल 2017 में विनय शंकर ने बीएसपी से इस सीट पर कब्जा जमाया।
- 1997-1999 तक कल्याण सिंह सरकार में मिनिस्टर।
- 2003-2007 तक मुलायम सिंह यादव सरकार में मंत्री।
- 2000 में राम प्रकाश गुप्ता सरकार में मंत्री।
- 2001 में राजनाथ सरकार में मंत्री।
- 2002 में बसपा सरकार में मंत्री।