सार
Allahabad High Court strike : इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ हड़ताल पर! भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते ट्रांसफर का विरोध। जानिए क्या है पूरा मामला!
Justice Yashwant Verma controversy: इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सैकड़ों अधिवक्ता विरोध में गेट नंबर-3 पर एकत्रित हुए और बेमियादी हड़ताल का ऐलान कर दिया। इस आंदोलन को इलाहाबाद बार एसोसिएशन का पूरा समर्थन मिला है।
'भ्रष्टाचार के आरोपी जज बर्दाश्त नहीं' – अधिवक्ताओं की दो टूक
अधिवक्ताओं का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे किसी भी जज को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनका स्पष्ट संदेश है कि दिल्ली हाई कोर्ट से जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद में नहीं होना चाहिए। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने पहले भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, "इलाहाबाद हाई कोर्ट कोई कूड़ादान नहीं, जहां भ्रष्टाचार के आरोपियों को न्याय देने के लिए भेजा जाए।"
कैसे शुरू हुआ विवाद?
हाल ही में जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना सामने आई थी। बताया जा रहा है कि इस आग में करोड़ों रुपये कैश जल गए। इस घटना के बाद से ही जस्टिस वर्मा विवादों में घिर गए।जब खबर आई कि उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जा रहा है, तो यहां के अधिवक्ताओं ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया।
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बार एसोसिएशन का बड़ा फैसला – 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इस हड़ताल को देशभर की 22 हाई कोर्ट बार एसोसिएशनों का समर्थन मिल चुका है। बीते सोमवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें यह फैसला लिया गया कि "यह लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ है।"
वकीलों की मुख्य मांगें
- जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में न किया जाए।
- उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच शुरू हो।
- भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाए गए जजों के खिलाफ महाभियोग चलाया जाए।
क्या बोले जस्टिस यशवंत वर्मा?
इस पूरे विवाद पर जस्टिस यशवंत वर्मा ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटना के दौरान उनके घर में कोई कैश मौजूद नहीं था। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी के उपाध्याय को जवाब देते हुए कहा,"जब आग लगी, तो मेरे परिवार और स्टाफ को सुरक्षा कारणों से घटनास्थल से दूर कर दिया गया था। जब आग बुझी, तो किसी ने भी वहां कोई कैश नहीं देखा।"
अब क्या होगा अगला कदम?
वकीलों का प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। यदि सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द हस्तक्षेप नहीं करते, तो यह विवाद और गंभीर हो सकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन करेंगे।
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