Thai woman fake passport Lucknow: लखनऊ एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने थाई महिला को फर्जी पासपोर्ट के साथ पकड़ा। महिला पहले से भारत यात्रा के लिए ब्लैकलिस्टेड थी और नेपाल बॉर्डर से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई थी।

Lucknow Airport Thai Girl Arrest: चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरुवार सुबह इमीग्रेशन अधिकारियों ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए ब्लैकलिस्टेड थाई नागरिक को हिरासत में लिया। महिला फर्जी पासपोर्ट के जरिए बैंकॉक जाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन सुरक्षा जांच में उसके दस्तावेज़ संदिग्ध पाए गए।

आखिर कौन है यह महिला?

इमीग्रेशन अधिकारी गौतम हंस श्रीवास्तव के अनुसार पकड़ी गई महिला ने अपना नाम डारिन चोकथनपत बताया और पासपोर्ट नंबर AD 2175735प्रस्तुत किया। जांच में खुलासा हुआ कि यह वही महिला है जो जुलाई 2024 में भारत आई थी और थोंगफुन चयाफा नाम से यात्रा कर चुकी थी। वीजा उल्लंघन के कारण भारत सरकार ने उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया था और मार्च 2025 में एक्जिट परमिट पर देश छोड़ना पड़ा था।

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नेपाल के रास्ते भारत में दोबारा प्रवेश

पूछताछ में महिला ने माना कि जसविंदर सिंह नामक व्यक्ति ने उसे फर्जी पासपोर्ट दिलवाने में मदद की। पासपोर्ट में न सिर्फ उसका नाम बल्कि माता-पिता का नाम भी बदलकर दर्ज किया गया। इसके बाद 31 जुलाई 2025 को वह रक्सौल बॉर्डर से नेपाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई और तब से जसविंदर सिंह के लखनऊ स्थित घर में रह रही थी।

पहले भी आ चुकी थी पुलिस की गिरफ्त में

इस महिला की गतिविधियों की जानकारी 13 अगस्त को ही इंटेलिजेंस एजेंसियों और एफआरओ लखनऊ तक पहुंच चुकी थी। उस समय पुलिस ने महिला और जसविंदर सिंह को हिरासत में लिया था, लेकिन बिना केस दर्ज किए उसे जाने दिया। यही लापरवाही अब फिर सवालों के घेरे में है।

बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश

महिला ने पूछताछ में कबूल किया कि जसविंदर सिंह के साथ नवेंदु मित्तल और शुवेंदु निगम भी उसके लिए फर्जी पासपोर्ट और भारत आने-जाने की व्यवस्था करते रहे। जांच में सामने आया कि उसके पास तीन अलग-अलग पासपोर्ट हैं – AD 2175735, AC 4874944 और AD 2048560। यह खुलासा इस पूरे नेटवर्क के गहरे और संगठित होने की ओर इशारा करता है।

मुकदमा दर्ज, जांच तेज

एसीपी विकास पांडेय ने बताया कि इमीग्रेशन अधिकारी गौतम हंस श्रीवास्तव की तहरीर पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां अब इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी दस्तावेज़ और अवैध प्रवेश के इस खेल में और कौन-कौन शामिल है।

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