सार

एशियानेट न्यूज हिंदी क्राइम डायरी पर एक सीरीज चला रहा है। हम हर सप्ताह यूपी के अलग-अलग जगहों के क्राइम केसों की हैरतअंगेज कहानी लेकर आएंगे। आज पढ़िए एक हाईप्रोफाइल केस की कहानी पूर्व IPS राजेश पांडेय की जुबानी।

राजेश कुमार पांडेय। मुंबई की प्रसिद्ध कंपनी मोतीलाल ओसवाल के पार्टनर और डायरेक्टर श्रीराम अग्रवाल के इकलौते बेटे वैभव अग्रवाल का 10 जून 2005 को अपहरण हो गया था। इस किडनैपिंग का मास्टर माइंड आईआईटी पास आउट राहुल त्यागी नाम का एक शख्स था, जो बुढ़ाना, मुज़फ्फ़रनगर का रहने वाला था। अब आपके जेहन में यह सवाल कौंध रहा होगा कि आखिर एक आईआईटी पास आउट शख्स अपहरण जैसा काम क्यों करेगा? आइए उसकी वजह जानते हैं।

बैचमेट्स की कोचिंग का कारोबार बढ़ता रहा

दरअसल, कोटा (राजस्थान) में 4-5 बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं। इन इंस्टीट्यूस्टस को आईआईटी पास आउट लोगों ने ही स्टेबलिश की है, और कोचिंग का एक हब बनाया। उनमें से दो ​कोचिंग इंस्टीट्यूट के मालिक ऐसे थे, जो राहुल त्यागी के बैचमेट थे। उसी के सामने उनकी कोचिंग इंस्टीट्यूट का कारोबार करोड़ों से अरबों में पहुंच गया। राहुल त्यागी अपने बैचमेट्स को आगे बढ़ता देखता रहा। उसके पास कोई काम नहीं था। उसने जीडीए (गाजियाबाद विकास प्राधिकरण) में ठेकेदारी शुरु कर दी।

एक ही बिल्डिंग में रहते थे राहुल की क्लासमेट और रामदेव अग्रवाल

राहुल की एक और क्लासमेट थी अमिषी। वह मुंबई के वर्ली स्थित उसी समुद्र महल बिल्डिंग में रहती थी। जिसमें रामदेव अग्रवाल रहते थे। आपको यह भी बता दें कि समुद्र महल बिल्डिंग वह जगह है, जहां पहले सिंधिया राज-परिवार का बड़ा महल हुआ करता था। बाद में वहां पर मल्टी स्टोरी रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स बन गए। जिनमें से एक खूबसूरत सा कॉम्पलेक्स है समुद्रमहल। नीचे के तल में रामदेव अग्रवाल जी और ऊपर अमिषी अपने पति के संग रहती थी।

इस वजह से दिमाग में आ गया था फ्रस्ट्रेशन

दरअसल, अमिषी जिस घराने में ब्याही थी, वह लोग भी बड़े उद्योगपति थे। चूंकि राहुल त्यागी की अमिषी से पुरानी जान-पहचान थी। इसलिए ये मुंबई में अमिषी से बराबर मिलता रहा और उससे बिजनेस कराने या किसी एग्जीक्यूटिव पोस्ट दिलाने की बता करता रहा। उसके साथ के लोग इतने आगे बढ़ गए हैं, यह देखकर उसके दिमाग में यह फ्रस्ट्रेशन आ गया था। पर अमिषी बड़ी रकम या बड़ी नौकरी अपने ससुराल वालों के माध्यम से नहीं दिला सकी। उसने राहुल त्यागी से मोतीलाल ओसवाल ग्रुप के बारे में बताया और कहा कि उनसे बात कर सकती हूँ। शायद ये तुम्हारी कोई मदद करें।

अमिषी से परिवार की लेता रहा लोकेशन

अमिषी ने राहुल त्यागी को लेकर ओसवाल ग्रुप में बात की या नहीं। यह पता नहीं चला। पर परिवार का बैकग्राउंड और सब चीजें जानने के बाद राहुल त्यागी के मन में पाप आ गया। उसने अमिषी से कहा भी था कि अगर हम उनकी किडनैपिंग कर लेते हैं तो कितना पैसा मिलेगा। 20-25 करोड़ तो देंगे ही देंगे। राहुल त्यागी ने सोचा कि इतने पैसे से हम लोग भी अपना शिक्षण संस्थान शुरू करेंगे। हम भी बड़ी कोचिंग के मालिक हो जाएंगे और अमिषी से इस परिवार की लोकेशन बराबर लेता रहा।

जानकारी मिलने के बाद बनाया किडनैपिंग का प्लान

इसी बीच अमिषी ने राहुल त्यागी को एक दिन बताया कि रामदेव अग्रवाल का बेटा वैभव अग्रवाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा गया हुआ है और अंशुल हॉस्टल में रहता है। यह जानकारी मिलने के बाद राहुल ने वैभव की किडनैपिंग का प्लान बनाया और वैभव का 10 जून 2005 को अपहरण हो गया। बच्चे को छोड़ने के बदले 20 करोड़ की फिरौती मांगी गई, बाद में किडनैपर 4 करोड़ लेने को तैयार हो गए और रैंसम मनी लेते समय उनके एक साथी को एसटीएफ ने दबोच लिया। बस, प्याज की तरह केस की परतें खुलती चली गईं। इस हाईप्रोफाइल केस में वैभव अग्रवाल को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाने में एसटीएफ को सफलता मिली।

मित्रों की सफलता से फ्रस्ट्रेशन में आकर कर बैठा क्राइम

राजस्थान के कोटा में मुकदमा लिखा गया। इस मामले में दो राज्यों के सीएम ने आपस में बात की और तीन-तीन राज्यों की पुलिस ने मिलकर काम किया। राजस्थान की पुलिस ने केस की विवेचना की और चार लोगों को दबोचा। यूपी में उस समय की किडनैपिंग फॉर रैंसम की सबसे बड़ी रिकवरी हुई। इसमें राहुल त्यागी, जयकुमार और संजीव शर्मा मुलजिम बनाए गए। शर्मा ने ही सारे लॉजिस्टिक इकट्ठा किए थे। अमिषी को भी गिरफ़्तार किया गया। हाई-कोर्ट से अमिषी को बरी कर दिया गया। लेकिन बाकी तीन अब भी जेल में हैं। यह केस बताता है कि किस तरह एक आईआईटी पास आउट शख्स अपने समकक्ष मित्रों की सफलता से फ्रस्ट्रेशन में आकर अपराध का रास्ता पकड़ लेता है।

-किस्‍सागोई के लिए मशहूर राजेश कुमार पांडेय पूर्व आईपीएस हैं।

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