Gomti riverfront ecological restoration: लखनऊ में गोमती नदी के किनारे 25 एकड़ में 14 करोड़ की लागत से शहर का पहला बायो-डायवर्सिटी पार्क बन रहा है। यह पार्क दुर्लभ पौधों को संरक्षित करेगा और शहर के पारिस्थितिकी तंत्र को नया जीवन देगा।
Lucknow biodiversity park development: शहरीकरण की दौड़ में जब हरियाली कहीं पीछे छूट रही हो, तब लखनऊ से एक सुकून देने वाली खबर आई है। गोमती नदी के किनारे शहर का पहला बायो-डायवर्सिटी पार्क तैयार होने जा रहा है। शुक्रवार को एलडीए, वन विभाग और नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने पौधारोपण कर इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की नींव रखी।
यह पार्क न सिर्फ शहर के पारिस्थितिकी तंत्र को नया जीवन देगा, बल्कि गोमती नदी के बेसिन में पाए जाने वाले दुर्लभ पौधों को भी संरक्षित करेगा।
25 एकड़ में 14 करोड़ की लागत, एक साल में होगा निर्माण पूरा
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि सहारा ग्रुप को लीज पर दी गई 75 एकड़ ग्रीन बेल्ट भूमि में से 25 एकड़ जमीन पहले चरण में पार्क निर्माण के लिए ली गई है। इस पर करीब 14 करोड़ रुपये की लागत आएगी और अगले एक वर्ष के भीतर पार्क तैयार कर लिया जाएगा।
दिल्ली के यमुना बायो-डायवर्सिटी पार्क को विकसित करने वाले विशेषज्ञों की मदद से इस पार्क को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डिजाइन किया जा रहा है।
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हरियाली, खेल और संरक्षण एक साथ
दयाल पैराडाइज चौराहे से लेकर जनेश्वर मिश्र पार्क (गेट नंबर-5) के मध्य स्थित इस क्षेत्र में पार्क को विकसित किया जाएगा। इसमें बाउंड्रीवाल, पार्किंग, इंट्री गेट, ऑफिस, पाथ-वे, किड्स प्ले एरिया और वॉच टावर जैसे सुविधाजनक ढांचे भी शामिल होंगे। एलडीए का उद्देश्य इस स्थान को केवल हरियाली का केंद्र नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता का माध्यम भी बनाना है।
विलुप्त हो रही प्रजातियों को मिलेगा नया जीवन
इस पार्क की सबसे खास बात यह है कि यहां गोमती नदी क्षेत्र की दुर्लभ और विलुप्तप्राय पौधों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही एक फलदार बाग, औषधीय वनस्पतियों का गार्डन और बटरफ्लाई गार्डन भी विकसित किए जाएंगे। यह पहल लखनऊवासियों को न केवल प्रकृति से जोड़ने का काम करेगी, बल्कि जैव विविधता को सहेजने में भी अहम भूमिका निभाएगी।
शहर के लिए एक नई सांस
जब शहर धूल, धुएं और कंक्रीट में उलझा हो, तब गोमती किनारे बनने वाला यह बायो-डायवर्सिटी पार्क लखनऊ के लिए एक हरी सांस जैसा होगा। यह सिर्फ एक पार्क नहीं, बल्कि एक संदेश होगा, प्रकृति को बचाना अब विकल्प नहीं, ज़रूरत है। अब देखना होगा कि यह वादा समय पर पूरा होता है या नहीं, लेकिन शुरुआत ने उम्मीद जगा दी है।
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