माघ मेला 2025 को लेकर वाराणसी से प्रयागराज संगम तक परिवहन व्यवस्था तेज कर दी गई है। रोडवेज की 366 बसें रिजर्व की गई हैं। श्रद्धालुओं को हर 10–15 मिनट में एसी, नॉन एसी और जनरथ बसों की सुविधा मिलेगी।
वाराणसी। कुंभ मेले की सफलता के बाद अब आस्था का रेला माघ मेले की ओर बढ़ने को तैयार है। 3 जनवरी से प्रयागराज में माघ मेले का शुभारंभ होने जा रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान करेंगे। इस विशाल भीड़ को देखते हुए वाराणसी रोडवेज परिक्षेत्र ने यातायात व्यवस्था को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए काशी से संगम नगरी तक हर 10 से 15 मिनट के अंतराल पर बस सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
वाराणसी परिक्षेत्र से 366 बसें रहेंगी तैनात
माघ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए वाराणसी रोडवेज परिक्षेत्र से कुल 366 बसों को रिजर्व रखा गया है। इनमें से 65 बसें बनारस स्टेशन क्षेत्र से संचालित की जाएंगी, ताकि प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
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काशी, चंदौली और गाजीपुर डिपो से संचालन
वाराणसी परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले काशी, चंदौली, गाजीपुर सहित अन्य डिपो से बसों का संचालन किया जाएगा। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु वाराणसी परिक्षेत्र से प्रयागराज संगम स्नान के लिए जाते हैं। वहीं देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु प्रयागराज से काशी पहुंचकर गंगा स्नान करते हैं। ऐसे में रेल के बाद बस सेवा को सबसे अहम यातायात साधन माना जा रहा है।
आठ प्रमुख स्नान पर्वों पर विशेष व्यवस्था
परिवहन विभाग के अनुसार, 3 जनवरी से पहला स्नान पर्व शुरू होगा। माघ मेले के दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, पूर्णिमा और महाशिवरात्रि सहित कुल 8 प्रमुख स्नान पर्व पड़ेंगे। इन दिनों श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जाएगी।
एसी, नॉन एसी और जनरथ बसों की सुविधा
वाराणसी परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक परशुराम पाण्डेय ने बताया कि परिवहन विभाग की ओर से श्रद्धालुओं के लिए एसी, नॉन एसी और जनरथ बसों को रिजर्व किया गया है। संगम में स्नान करने जाने वाले श्रद्धालुओं को काशी से हर 10–15 मिनट में बस सेवा उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक हो सके।
श्रद्धालुओं की सुविधा पर फोकस
परिवहन विभाग का दावा है कि माघ मेले के दौरान बसों की उपलब्धता, समयबद्ध संचालन और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उद्देश्य यही है कि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के संगम पहुंचें और आस्था की डुबकी लगाकर सकुशल वापस लौट सकें।
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