सार

उत्तर प्रदेश में शादी का झांसा देकर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। एक व्यक्ति से 1.7 लाख रुपये ठगे गए, जबकि भाई-बहन ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए फर्जी शादी रचाई।

धोखाधड़ी की घटनाएं हमारे चारों ओर हो रही हैं। अगर सावधानी न बरती जाए तो कभी भी ठगी का शिकार हो सकते हैं। हाल ही में सामने आई धोखाधड़ी की घटनाओं में ज्यादातर शादी के झांसे में फंसाकर की गई हैं। अखबारों और सोशल मीडिया के जरिए विज्ञापन देकर लोगों को ठगने वाले बड़े गिरोह सक्रिय हैं, जैसा कि हाल की घटनाओं से पता चलता है। उत्तर प्रदेश में इसी तरह की ठगी का शिकार हुए एक व्यक्ति को एक लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रहने वाले प्रदीप कुमार ठगी का शिकार हुए। लॉकडाउन से ठीक पहले, परिवार की मदद से प्रदीप दुल्हन की तलाश कर रहे थे। लेकिन, अचानक लॉकडाउन लगने से शादी की सारी तैयारियां रुक गईं। बाद में, लॉकडाउन के बाद शादी की तैयारियां फिर से शुरू की गईं, लेकिन कोई उपयुक्त रिश्ता नहीं मिला। तभी प्रदीप की नजर अखबार में छपे एक विज्ञापन पर पड़ी। इसमें लिखा था कि शादी करने के इच्छुक लोग संपर्क करें और एक नंबर दिया गया था। प्रदीप ने विज्ञापन में दिए गए नंबर पर फोन किया। एक महिला ने फोन उठाया और खुद को खुशबू देवी बताया। इसके बाद दोनों के बीच फोन पर बातचीत होने लगी। उन्होंने एक-दूसरे से शादी करने का वादा किया। इसी बीच महिला ने प्रदीप से पैसे मांगे।

शुरुआत में प्रदीप ने मना कर दिया, लेकिन आखिरकार वह उसके झांसे में आ गया और खुशबू के खाते में दस हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। इस तरह खुशबू ने प्रदीप से कई बार में 1.7 लाख रुपये ठग लिए। इसके बाद, उसका फोन बंद हो गया और प्रदीप उससे दोबारा संपर्क नहीं कर सका। तब प्रदीप को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। इसके बाद उसने पूर्व जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र से शिकायत की, जिन्होंने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। लेकिन, खुशबू देवी का कोई सुराग नहीं मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदीप पिछले दो साल से लगातार पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहा है और मांग कर रहा है कि महिला उससे शादी करे या पैसे वापस करे।

हाल ही में उत्तर प्रदेश के हाथरस से एक भाई-बहन की शादी का मामला भी सामने आया था। यह भी एक धोखाधड़ी का मामला था। उनका मकसद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के नवविवाहित जोड़ों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना था। सारे लाभ मिलने के बाद दोनों ने तलाक ले लिया। लेकिन, स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच की तो भाई-बहन की ठगी का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि उन्होंने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ उठाने के लिए धोखाधड़ी की थी, जिसमें दुल्हन के बैंक खाते में 35,000 रुपये, जोड़े को 10,000 रुपये का आवश्यक सामान और शादी समारोह के लिए 6,000 रुपये देने का वादा किया जाता है। इसी तरह सिकंदराराऊ में रहने वाले एक जोड़े ने पहले तलाक लिया और फिर सरकारी मदद पाने के लिए दोबारा शादी कर ली।