सार
उत्तर प्रदेश के वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने सोमवार को मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अंसारी यह सजा अवधेश राय की हत्या करने के आरोप में मिली है। 3 अगस्त 1991 को इस घटना को अंजाम दिया था।
वाराणसी. उत्तर प्रदेश के वाराणसी एमपी एमएलए कोर्ट ने सोमवार को मुख्तार अंसारी को MP/MLA कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अंसारी को सजा 3 अगस्त 1991 को कांग्रेस नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या करने के आरोप में मिली है। इसके अलावा एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट का यह फैसला करीब 32 साल बाद आया है। बता दें कि इस वक्त माफिया मुख्तार असारी बांदा की जेल में बंद है। आइए जानते हैं मुख्तार अंसारी की क्राइम की पूरी हिस्ट्री
मुख्तार अंसारी के बेटा-बहू सब जेल में बंद
बता दें कि मुख्तार अंसारी की गिनती उत्तर प्रदेश के माफियाओं में होती है, उसे यूपी का बाहुबली नेता है। 60 साल के इस माफिया के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के अलावा यूपी के कई जिलों और शहरों में 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। उसके खिलाफ 8 मुकदमें ऐसे हैं जो मुख्तार के जेल रहने के दौरान दर्ज हुए हैं। पिछले एक साल के अंदर उसे चार मामलों में सजा मिल चुकी है। मऊ सदर से वर्तमान विधायक व माफिया का बेटा अब्बास अंसारी भी कासगंज जेल में बंद है। बहू निखत अंसारी भी जेल में सजा काट रही है। वहीं आफ्शा अंसारी पत्नी अभी पुलिस से फरार चल रही है। उस पर 50 हजार रुपए का इनाम रख है।
मुख्तार अंसारी की क्राइम कुंडली
- मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1988 में पहली बार क्रिमिनल केस दर्ज हुआ था।
- यह मामला ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या का था
- यूपी के कांस्टेबल त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह की बनारस में हत्या, इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया था।
- 1990 में गाजीपुर जिले के सरकारी ठेकों पर अवैध कब्जा शुरू कर। इस दौरान भी मामला दर्ज हुआ।
- 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला, इस केस में भी मुख्तार का नाम सामने आया था।
- गाजीपुर में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या
- मन्ना हत्याकांड के गवाह रामचंद्र मौर्य की हत्या
- मऊ में ए श्रेणी ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड में भी मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया।
- रामचंद्र मौर्य के बॉडी गार्ड सिपाही सतीष की हत्या में भी नाम आया सामने।
- आजमगढ़ के ऐराकला गांव में एक मजूदर की हत्या करने का आरोप भी इस माफिला पर लगा।
सैंकड़ों मामले तो मुख्तार अंसारी के खौफ की वजह से नहीं पहुंचे थाने
बता दें कि ऐसे कई और मामले हैं जिनको पुलिस थानों में दर्ज नहीं किया गया है। जिसें हत्या की धमकी देना, रंगदारी वसूलना, कारोबारी और किसानों की जमीनों पर कब्जा करना, किसी को जान से मारने की सुपारी लेना या दिलवाना। गरीबों को डरा-धमकार रखना, ना जाने ऐसे कई अनगिनत मामले हैं।
माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का राजनीतिक सफर
मुख्तार अंसारी का उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा दबदबा रहा है। वह 1996 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के टिकिट पर विधायक बना था। उसे मऊ के सदर विधानसभा सीट से बसपा ने मैदान में उतरा था। हालांकि पहली बार चुनाव जीतने के बाद भी उसका क्राइम कम नहीं हुआ। जिसके चलते बसपा ने दूसरी बार टिकट नहीं दिया तो वह 2002 व 2007 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीतकर विधासभा पहुंचा। इसके बाद उसने साल 2012 में अपनी पार्टी यानि कौमी एकता दल बनाया। इस बार भी वह विधायक का चुनाव जीता। 2017 में भी वह विधायक बना। लेकिन साल 2022 में वह चुनाव नहीं लड़ा और अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी। अब्बास अंसारी भी चुनाव जीत गया। लेकिन इस समय वह भी अपनी पत्नी के साथ जेल में बंद है।
प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है मुख्तार अंसारी
बता दें कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते थे। इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी के दादा आजादी से पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वहीं नाना महावीर चक्र विजेता रह चुके हैं। यानि इस माफिया के परिवार का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। लेकिन खुद ने राजनीति में आकर क्राइम का रास्ता अपना लिया।