Pooja Pal Letter To Akhilesh Yadav: सपा से निष्कासन के बाद पूनिया पाल ने अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह कदम पिछड़े, दलित और गरीब वर्ग की आवाज दबाने की कोशिश है। पति की हत्या मामले में न्याय दिलाने का श्रेय बीजेपी सरकार को दिया।
Pooja Pal Expelled From Samajwadi Party: समाजवादी पार्टी से निष्कासन के कुछ ही दिन बाद चैल सीट से विधायक पूजा पाल ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने अखिलेश यादव को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि पार्टी से उनका निकाला जाना सिर्फ व्यक्तिगत मामला नहीं, बल्कि प्रदेश के पिछड़े वर्गों, दलितों और गरीबों की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।
सपा सरकार से नहीं मिली न्याय की उम्मीद
पूजा पाल का कहना है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी इसलिए जॉइन की थी क्योंकि उन्हें विश्वास था कि यह पार्टी पिछड़े वर्गों और वंचित समाज को न्याय दिलाने का काम करेगी। लेकिन अपने पति राजू पाल की हत्या के मामले में न्याय की उम्मीद उन्हें सपा सरकार से नहीं मिली।
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अखिलेश यादव को लिखे पत्र में क्या कहा?
अपने पत्र और सोशल मीडिया पोस्ट में पूजा पाल ने लिखा, “मेरा निष्कासन सिर्फ मेरा मामला नहीं है, बल्कि यह प्रयास है पिछड़े, दलित और गरीब तबके की आवाज़ को दबाने का। मैं अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ती रहूँगी।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें कुछ हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की होगी।
क्यों दिया भाजपा सरकार को श्रेय?
पूजा पाल का कहना है कि बीजेपी सरकार के दौरान ही उन्हें अपने पति की हत्या के मामले में न्याय मिला। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी” (Zero Tolerance Policy) ने अपराधियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की।
पूजा पाल से यह सवाल किया गया कि उन्हें क्यों निकाला गया? पार्टी ने आरोप लगाया कि उन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया। इस पर पूजा पाल का पलटवार है कि “जब अखिलेश यादव खुद दिल्ली में भाजपा प्रत्याशी को वोट दे सकते हैं, तो मुझे क्यों सज़ा दी गई?”
सोशल मीडिया पर निशाना और धमकियां
निष्कासन के बाद पूजा पाल ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया पर लगातार ट्रोल किया जा रहा है और जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं। उन्होंने लिखा कि उनका असली मकसद पति की हत्या के केस में न्याय पाना था और वह पूरा हो चुका है।
यूपी की सियासत पर क्या होगा असर?
पूजा पाल के तेवरों ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की राजनीति को सीधा चुनौती दी है। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह विवाद पिछड़े वर्ग और दलित समुदाय में सपा की पकड़ को कमजोर करेगा? आने वाले समय में इसका असर प्रदेश की राजनीति पर साफ देखने को मिल सकता है।
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