Uttar Pradesh advertisement rules: योगी कैबिनेट ने नगर निगम क्षेत्रों में विज्ञापन अनुमति अवधि 2 से बढ़ाकर 15 साल कर दी है। इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी। साथ ही केजीएमयू की कार्य परिषद में आरक्षित वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का संशोधन मंजूर हुआ।
UP Cabinet Decision : उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निगम क्षेत्रों में विज्ञापन की अनुमति देने के नियम बदल दिए हैं। अब तक सिर्फ 2 साल के लिए मिलने वाली मंजूरी को बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया है। योगी कैबिनेट ने इसके लिए उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। नए नियम के तहत पूरे राज्य में उत्तर प्रदेश नगर निगम (चिन्हों एवं विज्ञापनों का विनियमन) नियमावली, 2025 लागू होगी।
सरकार का कहना है कि इससे विज्ञापन कंपनियां लंबे समय तक निवेश करने के लिए आगे आएंगी, नए तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल होगा और काम की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। नगर निगमों को बार-बार टेंडर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे समय और खर्च दोनों बचेंगे। साथ ही, नगर निकायों की आय भी स्थिर और बढ़ी हुई होगी। राज्य सरकार अब जल्द ही उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, 2025 लागू करेगी।
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केजीएमयू में आरक्षित वर्गों को मिलेगा प्रतिनिधित्व
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की कार्य परिषद में अब अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसरों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश अधिनियम-2002 में संशोधन किया जा रहा है। संशोधन के तहत राज्य सरकार वरिष्ठतम प्रोफेसरों में से एक-एक सदस्य को नामित करेगी, जो एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग से होंगे। यह नामांकन रोटेशन आधार पर कुलपति से परामर्श करके किया जाएगा।
यह बदलाव 28 जनवरी 2022 को कार्य परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर हो रहा है और इसे विधानमंडल के अगले सत्र में रखा जाएगा। इसका उद्देश्य आरक्षित वर्गों को उनका संवैधानिक हक और न्यायसंगत भागीदारी दिलाना है।
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