सार

लखनऊ नगर निगम ने अगले वित्तीय वर्ष में हाउस टैक्स नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। इससे लगभग 8.50 लाख मकान मालिकों को फायदा होगा और जल कर भी नहीं बढ़ेगा।

लखनऊ उत्तरप्रदेश | नगर निगम ने राजधानी के लाखों निवासियों के लिए राहत की खबर दी है। नगर निगम ने आगामी वित्तीय वर्ष में हाउस टैक्स की दरों में किसी प्रकार का इज़ाफा न करने का ऐलान किया है। इसका सीधा लाभ लगभग 8.50 लाख मकान मालिकों को मिलेगा। राहत की बात यह है कि हाउस टैक्स न बढ़ने से जल कर (Water Tax) भी नहीं बढ़ेगा। दरअसल, 14 साल से लखनऊ में हाउस टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था, और इसी कारण जलकर भी स्थिर रहा है।

नगर निगम के अनुसार, यह निर्णय करीब 8.50 लाख मकान मालिकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। हाउस टैक्स के साथ-साथ वाटर टैक्स का निर्धारण भी इसी आधार पर किया जाता है। ऐसे में, इस निर्णय से लखनऊ के घरों में रहने वाले लोग अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से संभाल सकेंगे।

जानिए इतिहास में कब हुआ था बदलाव?

लखनऊ नगर निगम में आखिरी बार 2010 में हाउस टैक्स की दरें बढ़ाई गई थीं। उस वक्त से लेकर अब तक दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया। हालांकि, नगर निगम के अधिकारियों ने कई बार प्रस्ताव रखा था कि अगर शहर की सुविधाओं में इज़ाफा करना है तो हाउस टैक्स में वृद्धि होनी चाहिए। लेकिन राजनीतिक और अन्य कारणों से यह प्रस्ताव सदन में कभी पास नहीं हो पाया। करीब आठ साल पहले गृहकर में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया गया था। यदि यह प्रस्ताव पास होता, तो न केवल गृहकर बल्कि जलकर की दरें भी बढ़ जातीं। हालांकि, अब नगर निगम की ओर से राहत मिलने से लखनऊ के मकान मालिकों को दोहरी राहत मिली है।

गृहकर के निर्धारण के लिए क्या है योजना?

नगर निगम अधिनियम के तहत, हर दो साल में गृहकर की दरों में बदलाव करने की व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत यदि दरों में बढ़ोतरी होती, तो अब तक सात बार हाउस टैक्स बढ़ चुका होता। इसके अलावा, हर चार साल में शहर का सर्वे कर नया निर्धारण किया जाना चाहिए था, लेकिन यह काम पिछले 14 सालों से नहीं हुआ। हाल ही में हुए जीआईएस सर्वे में कुछ छूटे हुए मकानों का पता चला था, हालांकि यह सर्वे सही से नहीं हुआ था और कुछ झुग्गियों को भी घर बताया गया था।

अब नगर निगम ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत लखनऊ के मकान मालिकों को अगले कुछ सालों में राहत मिलने की संभावना है। खास बात यह है कि पहले जो 50 फीसदी तक वृद्धि का प्रस्ताव था, अब वह लागू नहीं होगा, जिससे लाखों मकान मालिकों को सीधे तौर पर फायदा होगा।

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