सार
लखनऊ, 13 नवंबरः योगी सरकार 15 से 20 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव मनाएगी। बिरसा मुंडा की जयंती (जनजातीय गौरव दिवस) पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मेजबान राज्य समेत देश-विदेश की लोकसंस्कृति उतरेगी। आयोजन का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इस दौरान उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मेजबान राज्य समेत देश-विदेश की लोकसंस्कृति उतरेगी। इसमें स्लोवाकिया व वियतनाम के लोककलाकारों द्वारा भी कार्यक्रम प्रस्तुत होगा।
समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि उद्घाटन समारोह के उपरांत 11 बजे से सांस्कृतिक समागम शोभायात्रा भी निकलेगी, जिसमें मेजबान उत्तर प्रदेश समेत अनेक राज्यों के कलाकार शामिल होंगे। प्रतिदिन शाम पांच से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। इसमें सहरिया, बुक्सा आदि जनजाति के लोकनृत्य का भी अवलोकन किया जा सकेगा तो वहीं दूसरी तरफ जनजाति लोकवाद्यों को भी मंचीय प्रदर्शन होगा। पोथी घर में जनजाति साहित्य के पुस्तकों का भी अवलोकन कर सकेंगे।
यूपी में होगा 22 राज्यों के 38 लोकनृत्य का संगम
समाज कल्याण, अनुसूचित जाति व जनजाति कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि 15 से 20 नवंबर तक 22 राज्यों के 38 लोकनृत्य का संगम होगा। इसमें मेजबान उत्तर प्रदेश के डोमकच, झीझी, जवाराा, नगमतिया, चंगेली नृत्य से दर्शक अवगत होंगे। वहीं बिहार के उरांव, उत्तराखंड के झैंता, मध्य प्रदेश के भगौरिया, बैगा, रमढोला, पश्चिम बंगाल के नटुआ, मिजोरम के चेरांव, अरुणचाल प्रदेश के अका, पंजाब के शम्मी, केरल के इरुला, छत्तीसगढ़ के गंडी, भुंजिया, माटी मांदरी नृत्य से भी यूपी के दर्शक रूबरू होंगे। हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी नाटी, राजस्थान के कालबेलिया, लंगा, मागजिहार व तेराताली, असम के बरदोई व शिखला लोकनृत्य की प्रस्तुति भी उत्तर प्रदेश में होगी। त्रिपुरा के हौजागिरी, झारखंड के खड़िया, गोवा के कुनबी, गुजरात के सिद्धि धमाल, जम्मू-कश्मीर के मोंगो (बकरवाल), सिक्किम के सिंघी छम, महाराष्ट्र के सांघी मुखौटा, ओड़िसा के घुड़का व कर्नाटक के फुगडी लोकनृत्य का संगम भी इस कार्यक्रम में होगा।
पोथी घर में जनजाति पुस्तकों का कर सकेंगे अवलोकन
कार्यक्रम के दौरान पोथी घर में भारत के जनजाति साहित्य से जुड़ी पुस्तकों के स्टॉल भी लगेंगे। इसमें देश की जनजातीय पर उनके गीत, नृत्य, चित्रकला, संस्कार, खेलकूद व रहन-सहन आदि की पुस्तकों का विक्रय व प्रदर्शन किया जाएगा। वहां के रहन-सहन, खान-पान, संस्कृति के बारे में भी जान सकेंगे। 16 से 20 नवंबर तक अनेक प्रांतों के लोकनृत्य/लोकगीतों से जुड़े कार्यक्रम अनवरत चलते रहेंगे। दोपहर 12 बजे से विमर्श भी होगा। 16 को क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, 17 को जनजाति शिक्षा व स्वास्थ्य-जागरूकता व समाधान पर विमर्श कार्यक्रम होगा। 18 को 'लोकल से ग्लोबल तक' जनजातियों में उद्यमिता विकास की संभावनाएं तक विमर्श होगा। 19 को इसका विषय जनजाति विरासत संरक्षण व संवर्धन है। 20 को जनजाति विकास में गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका पर विमर्श होगा।
जनजाति लोकवाद्यों का भी करेंगे दीदार, देसी व्यंजनों का स्वाद भी करेगा आकर्षित
19-20 नवंबर को मध्य प्रदेश की टीम की तरफ से जननायक बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्तुति होगी। जनजाति लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन भी होगा। बुक्सा, सहरिया जनजाति, त्रिपुरा के हौजागिरी नृत्य, छत्तीसगढ़ के भुंजिया आदिवासी लोकनृत्य का भी आनंद उठा सकेंगे। 20 नवंबर को जनजाति कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाएगा। आयोजन में घूमंतु जाति के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। जादू के भी कार्यक्रम होंगे। आयोजन में देसी व्यंजनों का स्वाद भी आकर्षित करेगा।
इन राज्यों के नामचीन कलाकार लेंगे हिस्सा
कार्यक्रम में सिक्किम के जिग्मी भुतिया, महाराष्ट्र के छभीलदास गवली, राजस्थान की पूजा कामड़, छत्तीसगढ़ के सुरेंद्र सोरी, मध्य प्रदेश के मौजीलाल, उत्तर प्रदेश के चंगेली नृत्य पर बूटी बाई व टीम, राजस्थान के रावण हत्था पर सुगनाराम, उत्तर प्रदेश के सैंड आर्ट को लेकर भास्कर विश्वकर्मा अपनी प्रस्तुति देंगे। बिहार के उरांव लोकनृत्य पर विश्वजीत सिंह व टीम, उत्तराखंड के जौनसारी लोकनृत्य पर दुर्गेश राणा पर टीम, अरुणाचल प्रदेश के अका-अना ने विधा पर मियाली सिडोसा व उनकी टीम, ओडिशा के घुड़का विधा पर वासुदेव साहा व टीम, मध्य प्रदेश के जनजाति लोकवाद्यों का मंचीय प्रदर्शन संजू सेन बालोद व उनकी टीम करेगी। बिरसा मुंडा पर आधारित नाट्य प्रस्तुति राजकुमार रायकवार व उनकी टीम करेगी।