सार
टीकाकरण अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार से CM योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई रणनीतियों के कारण जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है।
लखनऊ। कभी पूर्वांचल में बच्चों के लिए काल बन चुका जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) आज पूरी तरफ से खात्मे की कगार पर है। इसका क्रेडिट उस रणनीति को जाता है, जो 2017 में प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी ने लागू की। पूर्वांचल को जेई के प्रकोप से बचाने के लिए सीएम योगी ने फूल प्रूफ रणनीति पर काम किया। सीएम योगी के मार्गदर्शन में पूरे दृढ़ संकल्प के साथ जेई के खिलाफ रणनीति बनाई गई और इसे अंतरविभागीय समन्वय के साथ क्रियान्वित किया गया। स्वास्थ्य विभाग की हर गतिविधि की निगरानी की गई। विभाग को शत-प्रतिशत टीकाकरण के निर्देश दिए गए। दस्तक अभियान के जरिये लोगों को जेई टीकाकरण के प्रति जागरुक किया गया। यही नहीं, पिछले तीन वर्षों में पूर्वांचल समेत पूरे प्रदेश में शिशुओं को जेई-1 और जेई-2 के करीब 2 करोड़ टीके की डोज दी गयी। इसका नतीजा ये रहा कि आज पूर्वांचल जेई से मुक्त हो चुका है। पहले इस बीमारी के कारण परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता था, लेकिन आज लोगों में न ही बीमारी का कोई खौफ है और न ही इसके इलाज पर होने वाले खर्च का।
जेई टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के लिए 1.70 आशा बहनों को किया गया प्रशिक्षित
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कमान संभालते ही संचारी रोग जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) के खात्मे के लिए शत-प्रतिशत टीकाकरण के निर्देश दिये। साथ ही लोगों को जेई टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के लिए आशा बहनों को प्रशिक्षित कर घर-घर (डोर टू डोर) कैंपेन के निर्देश दिये। सचिव ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर 1.70 लाख से अधिक आशा बहनों को प्रशिक्षण दिया गया। वहीं दस्तक अभियान के तहत एक वर्ष में तीन बार डोर टू डोर कैंपेन के जरिये जेई के कारण, उपाय, उपचार का महत्व एवं टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरुक किया गया, ताकि लोग टीकाकरण के लिए आगे आएं। आशा बहनों ने करीब 4 करोड़ घरों पर दस्तक अभियान के तहत व्यक्तिगत संवाद किया। सीएम योगी के प्रयासों को नतीजा रहा कि जेई के टीकाकरण से पीछे हटने वाले लोग आगे आए। वर्ष 2023-24 में योगी सरकार ने जेई- 1 के लिए 34,64,174 टीकाकरण का लक्ष्य रखा, जिसके सापेक्ष 33,85,506 टीके लगाये गये। इसी तरह वर्ष 2022-21 में जेई- 1 के लिए 34,59,417 टीकाकरण का लक्ष्य रखा, जिसके सापेक्ष 33,78,189 टीके लगाये गये, जबकि वर्ष 2021-22 में 34,43,938 टीकाकरण के लक्ष्य के सापेक्ष 28,40,827 टीके की डोज लगायी गयी। इस वर्ष कोरोना महमारी की वजह से टीकाकरण कुछ धीमा रहा।
सीएम योगी के प्रयास से जेई से होने वाली मृत्यु दर में 99 प्रतिशत तक दर्ज की गयी गिरावट
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जीएम डॉ. मनोज शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2023-24 में योगी सरकार ने जेई- 2 के लिए 32,63,507 टीकाकरण का लक्ष्य रखा, जिसके सापेक्ष 31,02,741 टीके लगाये गये। इसी तरह वर्ष 2022-21 में जेई- 2 के लिए 32,59,026 टीकाकरण का लक्ष्य रखा, जिसके सापेक्ष 30,67,275 टीके लगाये गये जबकि वर्ष 2021-22 में 32,45,949 टीकाकरण के लक्ष्य के सापेक्ष 23,82,369 टीके की डोज लगायी गयी। इस वर्ष कोरोना महमारी की वजह से टीकाकरण कुछ धीमा रहा। उन्होंने बताया कि सीएम योगी के प्रयासों का ही नतीजा है कि वर्ष 2023 में दिमागी बुखार से होने वाली मृत्यु दर महज 1.23 प्रतिशत ही दर्ज की गयी है जबकि वर्ष 2017 में मृत्यु दर 13.87 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों की मानें तो योगी सरकार ने दिमागी बुखार से होने वाली मृत्यु दर में रिकॉर्ड 99 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की है। इसी का असर है कि सात वर्षों में एईएस और जेई की मृत्यु दर में 12.64 प्रतिशत की गिरावट की दर्ज की गई है।
टीकाकरण से जेई से मृत्यु पर लगी लगाम
जापानीज इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जेई टीकाकरण कराया जा रहा है। पिछले छह सात वर्षों में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान इस टीके को लगाने के लिए कई विशेष अभियान भी चलाए गए। इसका असर यह रहा कि जापानीज इंसेफेलाइटिस के मामले साल दर साल कम हुए। सबसे खास बात यह रही कि इस बीमारी से होने वाली मृत्यु शून्य तक पहुंच गई है। पिछले वर्ष इससे कोई मृत्यु नहीं हुई। इस वर्ष भी स्थिति नियंत्रण में है।
-डॉ. आशुतोष कुमार दुबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गोरखपुर
छूट गया है तो पंद्रह वर्ष तक लग सकता है टीका
यह टीका बारह जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए पांच साल में सात बार लगाए जाने वाली टीकों में शामिल है। जापानीज इंसेफेलाइटिस से बचाव का टीका बच्चों को दो बार लगाया जाता है। पहली बार टीकाकरण नौ से बारह माह की उम्र में होता है। यह टीका एमआर वैक्सीन के साथ लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी बार टीकाकरण सोलह से चौबीस माह की उम्र में होता है। इसे डीपीटी के बूस्टर डोज के साथ लगाया जाता है। अगर किसी का शिशु इस टीके से वंचित रह गया है तो उसे पंद्रह वर्ष की उम्र से पहले कभी भी यह टीका लगाया जा सकता है।
-डॉ. नंदलाल कुशवाहा, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी
जेई के खात्मे के साथ लोगों का आर्थिक संकट भी दूर, आज व्यवसाय और बच्चों की अच्छी परवरिश में कर रहे खर्च
इंसेफलाइटिस पूर्वांचल के लिये नासूर बन चुका था। सीएम योगी के प्रयास से आज यह लगभग समाप्ति पर है। एक समय था, जब जुलाई से सितंबर में सिर्फ़ मासूमों की मौतें गिनी जाती थीं, लेकिन आज सब कुछ बदल चुका है। योगी सरकार द्वारा दस्तक अभियान चलाकर घर-घर जागरूकता के लिए टीकाकरण, फ़ीवर ट्रैकिंग प्रारंभ किया गया। सभी विभाग को एक छतरी के नीचे इस अभियान में जोड़ा गया। आज उसके परिणाम हम सबके सामने हैं। सीएम योगी के माइक्रोलेबल ऑब्जरवेशन व हस्तक्षेप के बाद सभी विभागों ने जेई के खात्मे के लिए एक कार्य किये। यही वजह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सभी संवेदनशील हैं। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मज़बूती प्रदान की गई है। गांव स्तर के कर्मचारी, आशा बहनें और एएनएम को प्रशिक्षण देकर इतना सक्षम बनाया गया कि यह आज बीमारी को आगे बढ़ने नहीं देते। पहले जहां लोग बीमारी को लेकर घबराये रहते थे, बीमारी के इलाज में बहुत पैसे भी खर्च होते थे, वहीं आज वो निश्चिंत हैं। वह उन पैसों को व्यवसाय और बच्चों के अच्छे पालन-पोषण में आज खर्च कर रहे हैं।