सार

महाकुंभ में एक साधु अपनी अनोखी साधना से सबको हैरान कर रहे हैं। सांपों से घिरे इस बाबा का जीवन और मौन व्रत लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।

प्रयागराज, महाकुंभ नगर। संगम की रेती पर जहां साधारण से लेकर असाधारण दृश्य देखने को मिलते हैं, वहीं कुछ खास साधु-संत अपने अद्भुत आचरण और साधना से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहें हैं। एक ऐसा ही साधु बाबा हैं, जिन्हें 'सांपों वाले बाबा' के नाम से जाना जाता है। उनकी आस्था और सर्पों से जुड़ा अनोखा रिश्ता लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। आइए जानें इस बाबा के चमत्कारी सर्प प्रेम और उनकी साधना के बारे में।

क्या है सांपों वाले बाबा की कहानी?

सांपों वाले बाबा का असली नाम कोई नहीं जानता, लेकिन उनकी पहचान और सर्पों से जुड़ा अनोखा रिश्ता काफी प्रसिद्ध है। बाबा का जीवन पूरी तरह से सांपों के प्रति समर्पित है। उनके पास हमेशा एक विषैला सर्प रहता है, जो उनके साथ हमेशा रहता है। यह सर्प बाबा के सिर, कंधे और कभी-कभी पूरे शरीर पर लिपटा रहता है। बाबा के इस अजीब और अनोखे रिश्ते ने उनके भक्तों और अन्य श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित कर दिया है।

बाबा की मौन व्रत साधना और इशारों में संवाद

सांपों वाले बाबा ने कई सालों से मौन व्रत धारण कर रखा है। वह अपने इशारों से ही लोगों से संवाद करते हैं और अपनी साधना में पूरी तरह रत रहते हैं। उनका कहना है कि सर्प उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है और आध्यात्मिक साधना का प्रतीक है। बाबा के इस मौन व्रत और इशारों में बात करने की क्षमता ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है।

सबसे प्रिय शिष्य है बाबा के सिर पर बैठा सांप

बाबा का सबसे प्रिय सर्प उनके सिर पर बैठा रहता है, और यह सर्प बाबा के हर संकेत पर पूरी तरह से नियंत्रित रहता है। जब यह सर्प बाबा के सिर पर फन उठाता है, तो आसपास के लोग डर के मारे भाग खड़े होते हैं। हालांकि, बाबा के इशारों के बाद यह सर्प भी अन्य श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने के लिए शांत हो जाता है। बाबा के इस अद्वितीय रिश्ते को देख श्रद्धालु आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

लोगों में आकर्षण का केंद्र बने 'सांपों वाले बाबा'

'सांपों वाले बाबा' का यह अनोखा रिश्ता सर्पों के प्रति उनकी गहरी आस्था और प्रेम को दर्शाता है। महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में बाबा का यह चमत्कार श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन चुका है। उनकी साधना और सर्प प्रेम न केवल आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि यह महाकुंभ की विविधता और गहरी आस्था को भी प्रदर्शित करता है।

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