सार

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने परीक्षा प्रणाली में कई बड़े बदलाव किए हैं। स्केलिंग सिस्टम खत्म, नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला पारदर्शी, और इंटरव्यू प्रक्रिया में भी बदलाव शामिल हैं। ये सब परीक्षाओं को और ज़्यादा निष्पक्ष बनाने के लिए किया गया है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सभी प्रतियोगी छात्रों को एक पारदर्शी और शुचितापूर्ण चयन प्रक्रिया की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है। इस क्रम में समय-समय पर प्रतियोगी छात्रों के आग्रह पर, बदलते समय की अवश्यक्ताओं के दृष्टिगत व्यवस्था/परीक्षा प्रणाली में सुधार भी किया जाता रहा है। यही नहीं, अन्य आयोगों के बेस्ट प्रैक्टिसेज, विशेषज्ञों के सुझाव आदि के आधार पर भी समय-समय पर आवश्यक बदलाव किए जाते हैं। प्रतियोगी छात्रों की सुविधा और परीक्षाओं की शुचिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए UPPSC के प्रवक्ता ने वर्तमान आयोग के कार्यकाल को परीक्षा सुधार की दृष्टि से ऐतिहासिक कहा है। उन्होंने कहा है कि यह पहला आयोग है जहां प्रतियोगी छात्रों का हित सुनिश्चित किया जाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। उनकी अपेक्षाओं, आशाओं और आवश्यकताओं का पूरा सम्मान किया जाता रहा है।

छात्रों के आग्रह पर समाप्त किया गया स्केलिंग प्रणाली- आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि अभ्यर्थियों की सुविधा और बदलते दौर की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय हटाने का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया। मुख्य परीक्षा में सभी परीक्षार्थियों के लिए प्रश्नपत्र और एक तरह और अनिवार्य होने की स्थिति में परीक्षार्थियों के बीच प्रतियोगिता के लिए समान अवसर पैदा हुये हैं। प्रतियोगी छात्रों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि स्केलिंग की वजह से मानविकी विषयों और हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के नंबर कम हो जाते हैं और विज्ञान विषय एवं अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते हैं। अब वैकल्पिक विषय हट जाने से इस शिकायत का निराकरण हो गया है। उपरोक्त व्यवस्था का परिणाम यह हुआ कि अभ्यर्थियों के लम्बे समय से स्केलिंग हटाने की मांग पूर्ण हुयी और अपारदर्शी प्रणाली समाप्त हुयी।

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्व में लागू स्केलिंग प्रणाली को छात्रों के आग्रह पर समाप्त किया गया है। वर्तमान आयोग ने इस व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है। पूर्व में पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में एक पद के सापेक्ष में 13 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा हेतु सफल घोषित किया जाता था। सुधारों के क्रम में आयोग ने इसे बढ़ाकर 15 गुना कर दिया है ताकि अधिक अभ्यर्थियों को लाभ हो। इसके अलावा पूर्व में पीसीएस इंटरव्यू में एक पद के सापेक्ष दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु सफल घोषित किया जाता था। अब एक पद के सापेक्ष तीन अभ्यर्थियों को इंटरव्यू में बुलाया जा रहा है।

राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की गई गई है अनुशंसा- आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग ने नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला पारदर्शी तरीके से प्रतियोगी छात्रों के बीच रखा। जहां किसी एक विज्ञापन के सापेक्ष एकाधिक दिवसों/पालियों में परीक्षायें आयोजित करायी जाती हैं, वहां परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनायी जानी आवश्यक है, जैसा कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों आदि में अपनायी जाती है। मा. न्यायालय के विभिन्न निर्णयों द्वारा व्याख्यायित भी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा हेतु गठित राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की अनुशंसा की गई है, वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षा भी कई पालियों में कराई गई। आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि पूरी व्यवस्था में न्यूनतम हयूमन इंटरफेयरेन्स सुनिश्चित किया जा रहा है। सब कुछ सिस्टम ड्रिवेन है। तकनीक का उपयोग कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया गया है। मूल्यांकन में रोल नं० को फेक नं० में परिवर्तित कर नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया की जाएगी, जिससे किसी अभ्यर्थी का रोल नं० मालूम नहीं चलेगा एवं मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्ण रुप से पारदर्शी होगी।

अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करता है आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि Normalisation के संदर्भ में आयोग, अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करता है और जिसको भी उसके संदर्भ में कोई सुधार-सुझाव और बेहतर व्यवस्था हो, वह अभ्यर्थी दे सकते हैं जिससे कि लब्धप्रतिष्ठित विशेषज्ञों की समिति के समक्ष सारी चीज रखी जाएगी और जो शुचिता गुणधर्मिता, अभ्यर्थियों के हित में आवश्यक होगा, उसका पालन किया जाएगा।

निष्पक्ष एवं पारदर्शी साक्षात्कार के लिए अपानायी गई है संस्थागत प्रकिया

साक्षात्कार में चयन प्रक्रिया के उच्चतम मानक गुणधर्मिता, निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ सम्पन्न कराने हेतु निम्नलिखित संस्थागत प्रकिया अपनायी गयी-

(1) साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित है, जिसमें अभ्यर्थियों के नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या अनुक्रमांक, श्रेणी को ढक दिया जाता है। इस प्रकार अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत विवरण साक्षात्कार परिषद के समक्ष नहीं रखे जाते।

(2) हर अभ्यर्थी का एक यूनीक कोड होता है। साथ ही विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार हुए विशेष अव्यवस्थित कोड से अभ्यर्थी को अंतिम समय तक यह नहीं पता लग पाता है कि उसे किस पैनल के सामने उपस्थित होना है।

(3) साक्षात्कार के माध्यम से चयन हेतु साक्षात्कार परिषद द्विसदस्यीय होती है।

(4) प्रथम और द्वितीय सत्र में अलग-2 साक्षात्कार परिषदें होती है।

(5) साक्षात्कार में लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाता है। (6) विशेषज्ञों को साक्षात्कार परिषद में प्रत्येक सत्र के बाद इंटरचेंज किया जाता है।

(6) अभ्यर्थियों को साक्षात्कार परिषद के समक्ष किये गये परफार्मेंस के आधार पर ग्रेडिंग अंकित की जाती है एवं औसत सिद्धांत के आधार पर अंक प्रदान किये जाते है।

(7) साक्षात्कारोपरान्त मार्कशीट पर विशेषज्ञों द्वारा हस्ताक्षर किये जाते है और उनके समक्ष ही मार्कशीट का लिफाफा सील किया जाता है।

(8) साक्षात्कार हेतु आहुत विशेषज्ञों की पहचान अत्यंत गोपनीय रखी जाती है।

उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को बनाया गया है फूलप्रूफ

आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को भी फूलप्रूफ बनाया गया है। शुचितापूर्ण मूल्यांकन हेतु कॉपियों पर रोल नंबर की जगह एक खास कोड होता है जिससे परीक्षक को यह नहीं पता चल पाता है कि वह किसकी कॉपी जांच रहा है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि एक परीक्षक एक दिन में 25 से ज्यादा कॉपियां नहीं जांचेगा। प्रत्येक परीक्षक 25 कॉपियों का मूल्यांकन करने के पश्चात एक विशेषज्ञ दूसरे विशेषज्ञ की कॉपियों का क्रॉस चेक करते है, तत्पश्चात् मुख्य परीक्षक द्वारा चेक कर प्रमाणित किया जाता है कि मूल्यांकित कॉपियां त्रुटि रहित और गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकित है।

आवेदन करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक, सरल, सुगम बनाने के लिए लागू है वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) की व्यवस्था

उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रतिबद्धता के साथ शुचिता पूर्ण चयन हेतु वस्तुनिष्ठ, पारदर्शी, प्रभावी संस्थागत नित-नूतन प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में अभ्यर्थियों के व्यापक हित में चयन हेतु आवेदन करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक, सरल, सुगम बनाने की दृष्टि से वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) की व्यवस्था लागू की गयी। साथ ही साथ अभ्यर्थियों को व्यापक हित में दूरदर्शी कदम उठाने की दिशा में ओ०टी०आर० एक सफलतम प्रयोग है, जिसका सुखद परिणाम यह हुआ कि 22 माह में लगभग 19,34027 द्वारा ओ०टी०आर० रजिस्ट्रेशन कराकर ओ०टी०आर० नम्बर प्राप्त कर लिये गये हैं। अब तक लगभग 19.5 लाख अभ्यर्थियों द्वारा ओ०टी०आर० संख्या प्राप्त करने के बाद अब उनकों 40 वर्ष की उम्र तक केवल आवश्यक / अधिमान्य योग्यता अनुभव विवरण भरते हुये आयोग द्वारा जारी किसी भी विज्ञापन के तहत निर्धारित परीक्षा शुल्क जमा करने के उपरान्त आवेदन किया जा सकता है। इस व्यवस्था से शुचिता और गुणधर्मिता के साथ परीक्षा प्रक्रिया को पूर्ण करने में एकल रजिस्ट्रेशन व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

परीक्षार्थी छात्रों के सुझाव पर लिए गए कई निर्णय- आयोग

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षाओं की शुचिता के संदर्भ में अभ्यर्थियों ने ही पुरजोर से यह बात रखी थी कि स्वयं-वित्तपोषित विद्यालय परीक्षा केंद्र नहीं होने चाहिए, साथ ही साथ परीक्षा केंद्र जिला मुख्यालय से बहुत दूर नहीं होने चाहिए। अभ्यर्थियों की यह बात उचित थी इसी क्रम में यह निर्णय लिया गया।

कार्यों पर लापरवाही पर आयोग ने बरती सख्ती

इसके अलावा आयोग के द्वारा गलत प्रश्न उत्तर का निर्माण करने पर 186 विशेषज्ञों को आयोग के समस्त गोपनीय कार्यों से सदैव के लिए डिबार किया गया है। इसके अतिरिक्त गोपनीय कार्य सही ढंग से समपन्न न करने के कारण वर्ष 2024 में 44 विशेषज्ञों को डिबार किया गया और इस संबंध में उनसे संबंधित संस्थाओं को सूचित करने के साथ ही साथ अन्य आयोगों में भी प्रतिवारित करने हेतु उनकी सूची भेजी गयी। आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग द्वारा गोपनीय / अन्य कार्यों हेतु लब्ध प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सूची तैयार की गयी है एवं अनवरत अपडेट की जा रही है और साथ ही साथ गोपनीय कार्यों के संबंध में उनकी जवाबदेही भी तय की गयी है।

शुचितापूर्ण एवं गुणवक्तापूर्ण चयन प्रक्रिया से भर्ती संख्या में हुई बढ़ोत्तरी

आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 में 13353 पद विज्ञापित किये गये, जिसके सापेक्ष 12244 पदों पर 31 मार्च 2023 तक चयन प्रकिया पूर्ण की गयी, जो विज्ञापित पदों का 91.70 प्रतिशत है। वहीं वर्ष 2023-24 में 5763 पद विज्ञापित किये गये, जिसके सापेक्ष 5686 पदों पर 31 मार्च 2024 तक चयन प्रकिया पूर्ण की गयी, जो विज्ञापित पदों का 98.66 प्रतिशत है। वर्तमान वर्ष 2024-25 में 6891 पद विज्ञापित किये गये, जिसके सापेक्ष अब तक 2792 पदों की चयन प्रकिया पूर्ण की गयी, जो विज्ञापित पदों का 40.57 प्रतिशत है। शुचितापूर्ण एवं गुणवक्तापूर्ण चयन प्रक्रिया पूर्ण करने का प्रतिफल यह हुआ कि अप्रैल 2017 से नवंबर 2024 तक आयोग द्वारा 67934 पदों की चयन प्रक्रिया पूर्ण की गयी, जिसमें 46675 अभ्यर्थी चयनित हुए। चयनित अभ्यर्थियों में महिलाओं कि संख्या 17454 (37.40%) है। अप्रैल 2017 से नवंबर 2024 तक आयोग द्वारा 67934 पदों की चयन प्रक्रिया पूर्ण की गयी, जिसमें 46675 अभ्यर्थी चयनित हुए। चयनित अभ्यर्थियों में ओबीसी कि संख्या 17929 (38.41%) है।

वर्तमान कलैंडर वर्ष में कुल 15 परिक्षाएं हैं निर्धारित

वर्तमान कलैंडर वर्ष में कुल 15 परिक्षाएं निर्धारित है जिसमें से अब तक 12 परिक्षाएं आयोजित की जा चुकी है और दिसम्बर तक 14 परीक्षाएं आयोजित हो जांएगी, जो कलैंडर वर्ष में निर्धारित परीक्षाओं का 93.34 प्रतिशत है।

चयन प्रक्रिया को गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ पूर्ण किया- आयोग

आंकड़ों पर नजर डालें तो आयोग गुणवत्ता और समयबद्धता के साथ चयन प्रक्रिया को पूर्ण किया है। बीते वर्षों में हुई भर्ती के आंकड़े निम्नलिखित है।

1) वर्ष 2021-22 में चिकित्साधिकारी के विभिन्न विशिष्टाओं के 3620 पदों की चयन प्रक्रिया विज्ञापन के पश्चात 05 माह में पूर्ण की गयी।

2) वर्ष 2022-23 में पीसीएस परीक्षा 2022 (तीन चरणों की परीक्षा प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) की चयन प्रक्रिया मात्र 10 माह में पूर्ण कर ली गयी।

3) वर्ष 2023-24 में पीसीएस परीक्षा-2023 (तीन चरणों की परीक्षा प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) की चयन प्रक्रिया मात्र 06 माह 09 दिनों में पूर्ण कर ली गयी।

4) वर्ष 2023-24 में पीसीएस (जे) परीक्षा-2022 (तीन चरणों की परीक्षा प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार की चयन प्रक्रिया मात्र 06 माह 15 दिनों में पूर्ण कर ली गयी।

5) वर्ष 2023-24 में दन्त सर्जन का अंतिम परिणाम साक्षात्कार पूर्ण होने के पश्चात मात्र 24 घंटे के अंदर घोषित कर दिया गया।

6) वर्ष 2024-25 में चिकित्साधिकारी ग्रेड-2 के विभिन्न विशिष्टाओं के 2532 पदों की चयन प्रक्रिया विज्ञापन के पश्चात 2 माह 15 दिन में पूर्ण की गयी।