सार
वाराणसी में कारोबारी परिवार का कत्ल: 28 साल पहले जिस तिथि पर हुई थी भाई-भाभी की हत्या, उसी तिथि पर पूरा परिवार खत्म। पुलिस प्रॉपर्टी विवाद और बदले की आशंका में कर रही है जांच।
वाराणसी। यूपी के वाराणसी अंतर्गत भदैनी इलाके में हाल ही में कारोबारी राजेंद्र गुप्ता और उनके परिवार की हत्या ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। घटना को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि इस परिवार का कत्ल उसी तिथि पर हुआ, जिस दिन 28 साल पहले राजेंद्र के भाई कृष्ण गुप्ता और उनकी पत्नी की हत्या हुई थी। यह वही घर है, जहां 1997 में राजेंद्र ने प्रॉपर्टी विवाद के चलते अपने छोटे भाई और भाभी को सोते समय गोली मार दी थी। वो तिथि थी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, उस दिन नक्कटैया का मेला लगा हुआ था। ठीक 28 साल बाद उसी नक्कटैया मेले के दिन और तिथि पर राजेंद्र गुप्ता और उसके परिवार का खात्मा कर दिया गया। अब ये महज संयोग है या फिर सोची समझी साजिश, ये तो पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
हत्याकांड का पूरा घटनाक्रम
भदैनी पावर हाउस के सामने स्थित पांच मंजिला इमारत में मंगलवार को राजेंद्र गुप्ता की पत्नी नीतू गुप्ता (42), दो बेटे नवनेंद्र (25), सुबेंद्र (15), और बेटी गौरांगी (16) की लाशें मिलीं। सभी की गोली मारकर हत्या की गई थी। पुलिस को राजेंद्र का फोन ट्रेस कर उसकी लोकेशन मीरापुर रामपुर गांव में मिली, जहां राजेंद्र की लाश न्यूड अवस्था में पाई गई। उसे तीन गोलियां मारी गई थीं।
पुरानी दुश्मनी और प्रॉपर्टी विवाद
राजेंद्र गुप्ता के भतीजे जुगनू और विक्की पर शक है कि उन्होंने प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी के लिए बदला लेने की भावना से हत्या करवाई है। जुगनू पुलिस हिरासत में है, जबकि विक्की फरार है। पुलिस का मानना है कि हत्यारे घटना के बाद पीछे की दीवार के एक हिस्से से भाग निकले, जिसकी ईंटें गिरी पाई गईं। इस हत्याकांड में पुलिस को राजेंद्र गुप्ता की पहली पत्नी के बेटे पर भी शक है।
राजेंद्र के ज्योतिषी संपर्क
पुलिस को राजेंद्र की अलमारी से ज्योतिष की किताबें और 20 से ज्यादा रजिस्टर मिले हैं, जिनमें कई लोगों की कुंडलियां और नाम दर्ज हैं। पड़ोसियों का कहना है कि राजेंद्र केवल तांत्रिक ही नहीं था, बल्कि वो खुद ज्योतिषी भी था। उसने कई लोगों की कुंडलियां बनाई थीं और उन्हें समस्याओं के समाधान भी बताता था।
28 साल पहले हुआ था पहला मर्डर
इस परिवार में पहली हत्या 1997 में हुई थी, जब राजेंद्र ने प्रॉपर्टी विवाद और शराब ठेकों के कारण अपने भाई और भाभी को गोली मार दी थी। इस घटना के बाद राजेंद्र फरार हो गया था और बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
पैरोल पर छूटने के बाद राजेंद्र ने कारोबार पर जमाया कब्जा
राजेंद्र के पिता लक्ष्मी नारायण ने भी राजेंद्र को परिवार से दूर रखने का प्रयास किया, लेकिन 6 सालों बाद पैरोल पर छूटने के बाद राजेंद्र ने वापस कारोबार पर कब्जा जमाने की कोशिश की और पिता की भी हत्या करवा दी। उसने दो शादियां की थीं, लेकिन दोनों से उसका रिश्ता तनावपूर्ण रहा। उसकी पहली शादी से एक बेटा था, जो अब साथ नहीं रहता। दूसरी पत्नी नीतू और उसके तीन बच्चों की हत्या की गई है। इस हत्याकांड में पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है और उम्मीद है कि जल्द ही मामले का पर्दाफाश होगा।
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