Kashi Tamil Sangamam :काशी तमिल संगमम 4.0 वाराणसी में आयोजित हो रहा है, जो काशी-तमिल संबंधों को दर्शाता है। महर्षि अगस्त्य को तमिल भाषा का जनक माना जाता है।
काशी तमिल संगमम 4.0 वाराणसी में 2 से 15 दिसंबर तक मनाया जा रहा है। तमिल भाषा को संस्कृत के बाद सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है। तमिल भाषा का इतना प्राचीन और व्यापक इतिहास को सिलसिलेवार समझेगे। तमिल भाषा के उत्थान में काशी की क्या भूमिका है आइए इसे जानते हैं।
वाराणसी में है अगस्त्येश्वर महादेव का मंदिर
स्कंद पुराण में वर्णन मिलता है कि सप्त ऋषियों में एक ऋषि महर्षि अगस्त्य वाराणसी के गोदौलिया के पास अगस्त्य कुंड क्षेत्र में अगस्त्येश्वर महादेव का मंदिर है। यह वही स्थान है जहां ऋषि अगस्त्य ने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का काम किया था। भगवान शिव प्रश्न होकर दर्शन दिया था और वहीं स्वयंभू शिवलिंग के नाम पर स्थापित हो गए। जिसे अगस्त्येश्वर महादेव के नाम से जाना गया।
- उसे स्थान पर एक कुंड का उदगम हुआ। जिसे अगस्त्य कुंड नाम से जाना जाता है। इसी स्थान का अगस्त्य कुंड पड़ गया।
- मान्यता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से तमिल की उत्पत्ति हुई। इसे दक्षिण भारत में जाकर प्रचार प्रसार करने का निर्देश ऋषि अगस्त्य को दिया। महर्षि अगस्त्य ने तमिल को व्याकरण, रचना एवं प्रचार प्रसार किया। इस लिए उन्हें तमिल भाषा के जनक के रूप में माना जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि जब वे दक्षिण भारत आए, तो वहाँ के लोगों के पास कोई व्यवस्थित भाषा नहीं थी। भगवान शिव ने स्वयं अगस्त्य को तमिल भाषा का ज्ञान दिया।
- अगस्त्येश्वर महादेव मंदिर में की सबसे खास बात है कि शिवलिंग समाने नंदी महाराज नहीं है। यहां पर समुद्रदेव रक्षा करते हुए दिखाई दे रहे है। मंदिर परिसर में अगस्त्य ऋषि के पत्नी लोपामुद्रा, अगस्त्य ऋषि, नौ गृह, हनुमान जी, समुद्र देव सहित अन्य प्रतिमाएं है।
- महाभारत के अनुसार, जब असुरों ने समुद्र में छिपकर देवताओं पर हमला किया, तो देवताओं ने ऋषि अगस्त्य से सहायता मांगी। अगस्त्य मुनि ने अपनी योग शक्ति से सारा समुद्र पी लिया और देवताओं को असुरों पर विजय प्राप्त करने का अवसर दिया।
- रामायण में, जब भगवान राम लंका युद्ध के लिए जा रहे थे, तब अगस्त्य मुनि ने उन्हें आदित्य हृदय स्तोत्र प्रदान किया, जिससे उन्हें शक्ति प्राप्त हुई और वे रावण को पराजित कर सके।
- तमिल संगम साहित्य के अनुसार, महर्षि अगस्त्य ने तमिल व्याकरण का पहला ग्रंथ अगत्तियम (Agattiyam) लिखा। इस ग्रंथ में उन्होंने तमिल भाषा की मूलभूत संरचना और व्याकरण को व्यवस्थित किया। इसीलिए वे तमिल साहित्य और व्याकरण के आद्य प्रवर्तक माने जाते हैं।
विंध्य पर्वत को झुकने का आदेश दिया
महर्षि अगस्त्य केवल एक महान ऋषि ही नहीं, बल्कि अद्भुत चमत्कारी शक्तियों के स्वामी भी थे। पुराणों के अनुसार, एक समय विंध्य पर्वत अहंकार से भर गया और बढ़ते-बढ़ते उसने सूर्य के मार्ग को रोक दिया। सभी देवता और ऋषि इस समस्या को हल करने के लिए अगस्त्य मुनि के पास गए। अगस्त्य मुनि ने अपनी योग शक्ति से विंध्य पर्वत को आदेश दिया कि वह झुक जाए। पर्वत ने उनकी आज्ञा मानी और आज तक वह वैसा ही झुका हुआ है।
2 भयानक राक्षसों का किया था वध
अगस्त्य मुनि ने दो भयानक राक्षसों, वातापि और इल्वल का वध किया था। ये राक्षस ब्राह्मणों को धोखे से मार डालते थे। वातापि मांस के रूप में बदलकर ब्राह्मणों को खिलाया जाता था, और जब ब्राह्मण भोजन कर लेते, तो इल्वल उसे फिर से जीवित कर देता, जिससे वह ब्राह्मण के पेट से बाहर आकर उसे मार डालता था। जब अगस्त्य मुनि ने उसे खाया, तो उन्होंने अपने योग बल से उसे पचा लिया और इल्वल को भी अपने तपोबल से मार डाला।
कई स्थानों पर शिवलिंग स्थापित की
अगस्त्य मुनि ने अनेक स्थानों पर शिवलिंगों की स्थापना की। वे कांचीपुरम, रामेश्वरम, तिरुवनंतपुरम, मदुरै, और तिरुपति जैसे स्थानों में शिव उपासना को लोकप्रिय बनाने के लिए जाने जाते हैं। महर्षि अगस्त्य भारतीय संस्कृति के महानतम ऋषियों में से एक हैं, जिनका योगदान वेदों, पुराणों, आयुर्वेद, योग, खगोलशास्त्र, सिद्ध चिकित्सा और भाषा-विज्ञान में अतुलनीय है। उन्हें सप्तर्षियों में से एक माना जाता है और दक्षिण भारत में उन्हें विशेष सम्मान प्राप्त है। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने तमिल भाषा की उत्पत्ति भगवान शिव से प्राप्त ज्ञान के आधार पर की थी।
अगस्त्य मुनि की अद्भुत उत्पत्ति
एक कथा के अनुसार, महर्षि अगस्त्य को ब्रह्मा जी ने सृजन कार्य में सहायता के लिए बनाया था। वे न केवल दिव्य शक्तियों से संपन्न थे, बल्कि उन्हें ब्रह्मज्ञान और योग का अपार ज्ञान प्राप्त था।
श्री यंत्र की रचना
अगस्त ऋषि ने घोर तपस्या करके श्रीयंत्र जैसी यंत्र की रचना का लिए कार्य किया। उनकी पत्नी लोपामुद्रा द्वारा पहला श्रीयंत्र बनाया गया।
काशी तमिल संगमम में उपेक्षा
मंदिर के महंत ने बताया कि काशी तमिल संगमम 4.0 का आयोजन हो रहा है। काशी और तमिल संस्कृति को जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अभी तक 4 साल तमिल संगम को हो रहे हैं कोई भी प्रतिनिधिमंडल यहां पर अगस्त्य ऋषि के दर्शन करने नहीं पहुंचा है। अगस्त ऋषि को तमिल भाषा का जनक कहा जाता है अगर तमिल के लोगों को यहां पर दर्शन कराया जाए तो उन्हें ज्ञान होगा कि काशी से ही अगस्त्य ऋषि दक्षिण भारत तमिल के प्रचार प्रचार के लिए गए थे।


