योगी सरकार की गो-कल्याण योजना के तहत एटा की मलावन गोशाला में इको-थर्मल कंबल, गोबर से उत्पाद और महिला मार्केट प्लेस की शुरुआत हुई है। इससे गो संरक्षण के साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और नियमित आय अर्जित करेंगी।
जिस गोशाला को कभी सरकारी तंत्र पर बोझ माना जाता था, वही आज आत्मनिर्भरता, नवाचार और रोजगार का केंद्र बनती जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गो-कल्याण योजना अब केवल गो संरक्षण तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिला सशक्तिकरण का मजबूत आधार बनकर उभर रही है। इसकी बड़ी शुरुआत एटा जनपद की मलावन गोशाला से हुई है, जहां गो सेवा को रोजगार और आत्मनिर्भरता से जोड़ा गया है।
ठंड से बचाने के लिए इको-थर्मल कंबल
मलावन गोशाला में गो माता को ठंड से बचाने के लिए फूस और टाट की बोरियों से विशेष ‘इको-थर्मल कंबल’ तैयार किए जा रहे हैं। ये कंबल पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ कम लागत में बनाए जा रहे हैं, जिससे गो संरक्षण को मजबूती मिल रही है। यह पहल गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अभिनव कदम माना जा रहा है।
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गोबर से बने उत्पाद बन रहे आय का जरिया
गोशाला में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और ‘गो-कास्ट’ जैसे नवाचारी उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी बाजार में अच्छी मांग है। इसके साथ ही गोबर से अगरबत्ती, धूपबत्ती, मोमेंटो और गमले बनाने की भी तैयारी की जा रही है। इससे गोशाला की आय बढ़ने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
30 सखी दीदियों को मिला प्रशिक्षण
एटा के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह के नेतृत्व में गोशाला को आय का स्थायी स्रोत बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। कार्ययोजना के तहत 30 सखी दीदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो गो आधारित उत्पादों का निर्माण करेंगी। इससे महिलाओं को नियमित आय का जरिया मिलेगा और वे आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगी।
नेशनल हाईवे पर बनेगा महिला मार्केट प्लेस
इस मॉडल की एक खास बात यह भी है कि मलावन गोशाला के पास राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक स्थायी महिला मार्केट प्लेस विकसित किया जाएगा। यहां गो आधारित उत्पादों की सीधी बिक्री होगी, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और महिलाओं को उनके उत्पादों का पूरा लाभ मिलेगा।
गो सेवा से आत्मनिर्भरता की ओर
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि यह योजना उन्हें नियमित आय देने के साथ-साथ सम्मानजनक रोजगार भी उपलब्ध करा रही है। वे गोशाला संचालन, स्वच्छता, पोषण प्रबंधन और उत्पाद निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाकर इसे आत्मनिर्भर गोशाला मॉडल के रूप में विकसित करेंगी।
योगी सरकार की यह पहल साफ संकेत देती है कि गोसेवा, नवाचार और रोजगार एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के साथ प्रदेश की गोशालाएं अब बोझ नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत कड़ी बनती जा रही हैं।
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