योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने और मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। रासायनिक खेती से घटती उत्पादकता को रोकने के लिए किसानों को आर्थिक सहयोग और ग्रामीण महिलाओं को कृषि सखी बनाया गया है।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उनके कल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य सरकार खेती-किसानी के दौरान किसानों को आने वाली तात्कालिक और दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दे रही है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की बिगड़ती सेहत है। इसी के समाधान के लिए सरकार ने विशेष अभियान शुरू किया है।

रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से घट रही है फसलों की उत्पादकता

अत्यधिक उत्पादन की लालसा में किसानों ने फसलों में रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग शुरू कर दिया है, जो अब मिट्टी की उर्वरता और फसलों की गुणवत्ता दोनों को प्रभावित कर रहा है।

प्रयागराज मंडल के कृषि विभाग द्वारा एकत्र किए गए मिट्टी के नमूनों की जांच में चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं। क्षेत्रीय मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के सहायक निदेशक पीयूष राय के अनुसार, 84,400 खरीफ और 36,440 रबी फसलों के मिट्टी नमूनों की जांच से स्पष्ट हुआ है कि मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा न्यूनतम मानक से नीचे जा चुकी है।

मंडल में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा जहां 0.5 से 0.75 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए, वह अब इससे काफी नीचे गिर चुकी है। इसका सीधा असर फसलों की उत्पादकता और उत्पादन लागत पर पड़ा है।

प्रयागराज के उप निदेशक कृषि पवन कुमार विश्वकर्मा के अनुसार, फसल उत्पादकता में वर्ष 2020-21 की तुलना में 2023-24 तक भारी गिरावट आई है। जैसे-

  • गेहूं: 28.15 क्विंटल/हेक्टेयर से घटकर 24.04
  • मक्का: 18.25 से 12.89
  • जौ: 20.4 से 16.5
  • बाजरा: 12.32 से 9.13
  • धान: 31.90 से 28.40

इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए योगी सरकार ने जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

प्राकृतिक खेती से मिली राहत, मिट्टी की सेहत और किसान की आय दोनों में सुधार

गोवंश आधारित प्राकृतिक खेती योगी सरकार के कृषि सुधार मिशन का अहम हिस्सा बन गई है। प्रयागराज मंडल के प्रभारी संयुक्त निदेशक कृषि संतोष कुमार राय के अनुसार, मंडल के चार जिलों- प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी और प्रतापगढ़ में 892 क्लस्टर के 27,409 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। अब तक 17,965 हेक्टेयर भूमि इस पद्धति से जुड़ चुकी है।

फूलपुर (प्रयागराज) के किसान उमेश पटेल ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मक्का की फसल में लागत बढ़ी और मुनाफा घटा, लेकिन प्राकृतिक खेती अपनाने के बाद अब वे 10 हेक्टेयर भूमि में रसायनमुक्त मक्का उगा रहे हैं और एक सीजन में 10 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार से आर्थिक सहायता

उत्तर प्रदेश सरकार ‘भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना’ के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए आर्थिक सहयोग दे रही है। इस योजना में किसानों को तीन वर्षों तक आर्थिक सहायता दी जाती है-

  • पहले वर्ष: ₹4800 प्रति एकड़
  • अगले दो वर्षों में: ₹3600 प्रति एकड़ प्रति वर्ष

इसके अलावा, जैविक बीज प्रबंधन के लिए भी सरकार अलग से धनराशि उपलब्ध करा रही है।

ग्रामीण महिलाओं की सहभागिता: ‘कृषि सखियों’ से बढ़ रही जागरूकता

योगी सरकार ने प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है। प्रयागराज मंडल में महिलाओं को ‘कृषि सखी’ के रूप में नियुक्त किया गया है। इनका कार्य किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताना और प्रशिक्षण देना है। 13 कृषक विकास केंद्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कृषि सखियों ने कार्य शुरू कर दिया है। सरकार उन्हें इस कार्य के लिए ₹5000 प्रति माह का मानदेय भी दे रही है।