योगी सरकार की सोलर रूफटॉप योजना ने यूपी को देश का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य बना दिया। 13 लाख आवेदन, 976.21 मेगावॉट क्षमता और 54 हजार रोजगार के साथ यह योजना बिजली बचत, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का सफल मॉडल बनी।

लखनऊ। कभी उत्तर प्रदेश के गांवों में शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता था। घरों में कमजोर रोशनी, महंगे बिजली बिल और अनिश्चित सप्लाई आम बात थी। लेकिन योगी सरकार ने इस स्थिति को बदलने का लक्ष्य तय किया। उद्देश्य केवल बिजली देना नहीं था, बल्कि हर घर में नई रोशनी, उम्मीद और समृद्धि पहुंचाना था। इसी सोच ने प्रदेश में सौर ऊर्जा की बड़ी क्रांति को जन्म दिया, जिसने यूपी को सौर ऊर्जा उत्पादन में देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य बना दिया।

सोलर रूफटॉप योजना को मिला जबरदस्त समर्थन

योजना शुरू होने पर अनुमान नहीं था कि जनता इतनी तेजी से इसे अपनाएगी। राज्य में 13,46,040 आवेदन मिले, जिसने साबित किया कि लोग बदलाव के लिए तैयार थे। सिर्फ 18 महीनों में 2,81,769 सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाए गए और पिछले 4.5 महीनों में 1,30,000 नई इंस्टॉलेशन हुईं। इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के बाद सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर पहुंच गया।

976.21 मेगावॉट क्षमता और लाखों उपभोक्ताओं को लाभ

प्रदेश में अब तक 976.21 मेगावॉट रूफटॉप सोलर क्षमता स्थापित हो चुकी है। इस योजना ने 2,85,025 उपभोक्ताओं को सीधा फायदा दिया है। पहले जहां घरों का बिजली बिल 1500 रुपये तक आता था, अब सोलर सिस्टम लगाने से हर महीने बड़ी बचत हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बचत खेती और घरेलू जरूरतों के काम आ रही है, जबकि शहरी इलाकों में छोटे व्यापार और बिजली-आधारित उद्यमों को नई मजबूती मिली है।

रोजगार सृजन में सौर ऊर्जा बनी बड़ा आधार

सौर क्रांति ने सिर्फ घरों में रोशनी नहीं बढ़ाई, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोले हैं। उत्तर प्रदेश में 54,000 से ज्यादा युवाओं को सीधा रोजगार मिला है। देशभर में सोलर मॉड्यूल निर्माण, इन्वर्टर, वायरिंग, इंस्टॉलेशन, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन जैसी इंडस्ट्री में लाखों नौकरियां पैदा हुईं। यह योजना बिजली के साथ-साथ रोजगार का भी उजाला लेकर आई है।

आर्थिक बढ़त और पर्यावरण संरक्षण का मजबूत मॉडल

मुफ्त बिजली, घरेलू बचत और रोजगार- इन तीन आधारों पर बनी यह योजना अगले 25 वर्षों में यूपी की GDP में हजारों करोड़ रुपये का योगदान देगी। रोजाना 40 लाख यूनिट से अधिक सौर बिजली उत्पादन हो रहा है, जिससे ऊर्जा लागत कम हुई है और व्यापारों की प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आई है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों पेड़ों के बराबर लाभ देती है।

वाराणसी के डॉ. एस.के. श्रीवास्तव का मानना है कि सोलर प्लांट से बिजली और पैसों की बचत के साथ सरकारी सब्सिडी बड़ा लाभ है। पर्यावरण को फायदा होने से श्वसन रोगों में कमी आने की भी उम्मीद है। दनियालपुर के इम्तियाज़ अहमद ने कहा कि बिना योगी सरकार की सब्सिडी के सोलर संयंत्र लगाना मुश्किल था।

भूमि संरक्षण के साथ संतुलित विकास का मॉडल

सौर पार्क बनाने के लिए 4000 एकड़ भूमि की जरूरत थी, जिसे कृषि, जल संरक्षण और सार्वजनिक हितों के लिए सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया। यह दिखाता है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों को साथ लेकर चलने का मॉडल अपनाया गया है।