सार

कुमाऊं में ऑपरेशन पहाड़ सुरक्षा शुरू होने जा रहा है। भारतीय सेना और उत्तराखंड पुलिस संयुक्त रूप से सीमा सुरक्षा और संवेदनशील इलाकों की निगरानी करेंगे। जानें पूरी खबर।

कुमाऊं। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से नेपाल और चीन की सीमाएं सटी हुई हैं, जो इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील बनाती हैं। भविष्य में कभी भी युद्ध या संकट की स्थिति उत्पन्न होती है, तो उत्तराखंड पुलिस भारतीय सेना की मदद करेगी। इसी कड़ी में कुमाऊं क्षेत्र में "ऑपरेशन पहाड़ सुरक्षा" शुरू किया जा रहा है, जिसमें भारतीय सेना और कुमाऊं पुलिस संयुक्त रूप से अभ्यास करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य पर्वतीय इलाकों की सुरक्षा को और मजबूत करना है।

पुलिस और सेना की ज्वाइंट बैठक में लिया गया ऑपरेशन का निर्णय

हाल ही में हल्द्वानी में पुलिस और सेना के अधिकारियों के बीच एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस अभियान की रणनीतियों पर चर्चा की गई। बैठक में नोडल अधिकारी सीओ हल्द्वानी नितिन लोहनी, मेजर, कर्नल और कैप्टन रैंक के सैन्य अधिकारी शामिल हुए। इसमें तय किया गया कि संवेदनशील पर्वतीय इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए पुलिस और सेना मिलकर निगरानी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करेंगे।

महत्वपूर्ण इलाकों की निगरानी और रक्षा के लिए मिलकर करेंगे काम

कुमाऊं के इंटरनेशनल बॉर्डर से सटे जिलों की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधिकारियों और दरोगाओं का चयन किया गया है। इस अभियान के तहत सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण इलाकों की निगरानी और रक्षा के लिए पुलिस और सेना एक साथ काम करेंगे। भविष्य में किसी भी आपातकालीन स्थिति में पुलिस सेना को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। इसके लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण और बैठकें आयोजित की जाएंगी।

क्या है इस ज्वाइंट ऑपरेशन का मकदस?

चीन और नेपाल की सीमा पर सुरक्षा का इंतजाम बेहतर करने के लिए पुलिस और सेना के ज्वाइंट ऑपरेशन का मकसद दोनों फोर्सेस के बीच आपसी तालमेल और गुप्त सुचनाओं के आदान प्रदान और क्रियान्वयन की निगरानी करना और उन्हें शॉटआउट करना है। साथ ही दोनों फोर्सेस के बीच पहाड़ी इलाकों की पूरी जानकारी का एक खाका तैयार करना है। जिसमें रास्ते से लेकर गांवों तक का डिटेल होगा। 

 

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