सार

चुनावी काल में नेताओं का मन और दल बदलना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस दलबदल की राजनीति ने कांग्रेस को जोर का झटका दिया है। पिछले 4 साल में कांग्रेस के 170 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(ADR) की रिपोर्ट में हुआ है।

चेन्नई, तमिलनाडु. कहते हैं कि प्रेम-युद्ध और अब पॉलिटिक्स में कुछ भी जायज है। कब-किस नेता का अपनी पार्टी से मन ऊब जाए, दिल टूट जाए...कोई नहीं जानता। नेताओं के मन की थाह ले पाना मुश्किल है। इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां जारी हैं। चुनावी काल में नेताओं का मन और दल बदलना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस दलबदल की राजनीति ने कांग्रेस को जोर का झटका दिया है। पिछले 4 साल में कांग्रेस के 170 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स(ADR) की रिपोर्ट में हुआ है। पश्चिम बंगाल में तो लगातार तृणमूल कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में 'सरकते' आ रहे हैं। ADR की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2020 तक कांग्रेस के 170 विधायकों ने पाला बदला, जबकि भाजपा से सिर्फ 18 विधायकों का मोह टूटा। इस आंकड़े में मौजूदा समय में पार्टी बदलने वाले विधायकों की संख्या शामिल नहीं है।

यह भी जानें

  • ADR की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले 4 साल में दुबारा चुनाव लड़ने वाले 405 विधायकों में से 182 पाला बदलकर भाजपा में चले गए। वजह, टिकट कटना। 38 विधायक कांग्रेस में गए, जबकि 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति(TRS) में शामिल हुए। यानी इस लिहाज से भाजपा सबसे अधिक फायदे में रही। वहीं, TRS की तो बल्ले-बल्ले।
  • ADR की रिपोर्ट से खुलासा होता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच सांसदों ने भाजपा छोड़ी और कांग्रेस में चले गए। वहीं, पिछले 4 साल में 7 राज्यसभा सांसदों ने कांग्रेस को अलविदा कर दिया।
  • ADR की रिपोर्ट से पता चलता है कि मणिपुर, गोवा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक राज्यों की सरकारें इन्हीं विधायकों के दल बदलने से गिर गईं। 
  • पिछले 4 साल में 16 राज्यसभा सांसद अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में आ गए। नेशनल इलेक्शन वॉच और ADR ने 433 सांसदों और विधायकों के शपथ पत्रों पर रिसर्च करके बताया कि इन्होंने पांच सालों में पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा।