सार

उच्चतम न्यायालय के समायोजित सकल आय (एजीआर) मामले में फैसले के बाद भारती एयटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा समूह के खुद के आकलन के आधार पर सरकार का बकाया दूरसंचार विभाग के आकलन की तुलना में 82,300 करोड़ रुपये कम है

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के समायोजित सकल आय (एजीआर) मामले में फैसले के बाद भारती एयटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा समूह के खुद के आकलन के आधार पर सरकार का बकाया दूरसंचार विभाग के आकलन की तुलना में 82,300 करोड़ रुपये कम है।

शीर्ष अदालत ने एजीआर के बकाये का मुद्दा सेल्फ-असेसमेंट के जरिए फिर से जगाने की कोशिश करने के लिये दूरसंचार कंपनियों को बुधवार को लताड़ा। दूरसंचार विभाग ने बकाए के भुगतान के लिए कंपनियों को मोहलत दिलाने के लिए न्यायालय में रखी गयी अपनी खुद की अर्जी में पर कंपनियों पर संविधिक बकाया 1.19 लाख करोंड़ रुपये होने की बात की है।

इतने रुपए हैं बकाया

दूरसंचार विभाग की मांग के अनुमानों के अनुसार भारती एयरटेल और टेलीनोर पर अनुमानित 43,980 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया पर 58,254 करोड़ रुपये का बकाया है। इसी तरह टाटा समूह की कंपनियों पर 16,798 करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया बताया गया है। इसे अक्टूबर 2019 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट और विशेष आडिट के आधार पर तय किया गया है।

कंपनियों ने लगया इतने का अनुमान

डी-ओ-टी के अनुमानों विपरीत निजी कंपनी भारती समूह ने अपने खुद के आकलन में 13,004 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया ने 21,533 करोड़ रुपये और टाटा समूह की कंपनियों ने स्व-आकलन में 2,197 करोड़ रुपये के बकाये का अनुमान लगाया है। कुल मिलाकर सरकार का 16 इकाइयों पर एजीआर का कुल बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये है जबकि दूरसंचार कंपनियों के खुद के अनुमान के अनुसार यह राशि कुल मिला कर 37,176 करोड़ रुपये है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रुख सही ठहराया था

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में अपने निर्णय में कंपनियों पर सांविधिक बकाए के बारे में सरकार के रुख सही ठहराया था। सरकार का कहना था कि दूरसंचार कंपनियों के सालाना एजीआर आकलन में लाइसेंस की शर्तों के तहत उनकी दूरसंचार सेवाओं से इतर के कारोबार से होने वाली आय को भी शामिल किया जाए। एजीआर के आधार पर ही कंपनियों को लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लिया आड़े हाथ

न्यायालय ने पिछले साल 24 अक्टूबर को शीर्ष अदालत में निर्धारित बकाया समेकित सकल राजस्व (एजीआर) का सेल्फ-असेसमेंट या फिर से आकलन करने के लिये केन्द्र और दूरसंचार कंपनियों को बुधवार को आड़े हाथ लिया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों को एजीआर की बकाया राशि का भुगतान 20 साल में करने की अनुमति देने के लिये केन्द्र के आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस आवेदन पर दो सप्ताह बाद विचार किया जायेगा।

20 साल में भुगतान के लिये केन्द्र का प्रस्ताव अनुचित

न्यायालय ने कहा कि एजीआर की बकाया राशि का 20 साल में भुगतान के लिये केन्द्र का प्रस्ताव अनुचित है और दूरसंचार कंपनियों को शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप बकाये की सारी राशि का भुगतान करना होगा। पीठ ने सारे घटनाक्रम पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि दूरसंचार कंपनियों द्वारा एजीआर के सेल्फ-असेसमेंट की अनुमति देकर हम न्यायालय के अधिकारों का अतिक्रमण करने की इजाजत नहीं दे सकते।

न्यायालय ने कहा कि वह दूरसंचार सचिव और विभाग के उस अधिकारी को तलब करेगा जिन्होंने दूरसंचार कंपनियों को एजीआर बकाया के सेल्फ-असेसमेंट की अनुमति दी।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)