सार

स्टीव जॉब्स को भारत आने की प्रेरणा उनके एक दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड से मिली थी। रॉबर्ट 1973 में भारत आए थे और कुछ दिन बाबा नीम करौली के साथ बिताया था। जब वह अमेरिका लौटे तो उन्होंने स्टीव जॉब्स से बाबा नीम करोली बारे में बताया।

टेक डेस्क : आज Apple के फाउंडर स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) का जन्मदिन है। उनका बाबा नीम करोली (Baba Neem Karoli) से गहरा कनेक्शन था। बाबा नीम करोली अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को लेकर पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। कई बड़ी सेलिब्रेटी, लीडर आज भी उनके आश्रम पहुंचते हैं। स्‍टीव जॉब्‍स भी इनमें से एक थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1974 में स्‍टीव जॉब्‍स बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे थे। ये बात अलग है कि उनकी मुलाकात बाबा करोली से नहीं हो पाई थी। क्योंकि एक साल पहले ही 1973 में बाबा नीम करोली अपना देह त्याग चुके थे। कहा जाता है कि इस दौरान स्टीव जॉब्‍स नैनीताल के कैंचीधाम में काफी दिन ठहरे थे। इसके बाद वे अमेरिका लौटे और एपल की स्थापना की।

बाबा नीम करोली थे स्टीव जॉब्स की इंस्पिरेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टीव जॉब्स को भारत आने की प्रेरणा उनके एक दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड से मिली थी। रॉबर्ट 1973 में भारत आए थे और कुछ दिन बाबा नीम करौली के साथ बिताया था। जब वह अमेरिका लौटे तो उन्होंने स्टीव जॉब्स से बाबा नीम करोली बारे में बताया। जिसके बाद स्टीव जॉब्स भी भारत आए। एक बार जॉब्स ने बताया भी था कि ‘भारत यह जानने के लिए आया था कि मैं आखिर हूं कौन? यहा जानना चाहता था कि मेरे असल माता-पिता कौन थे।’ बता दें कि स्टीव जॉब्स के पैरेंट्स ने उन्हें एक अनाथालय में छोड़ दिया था। जहां से उन्हें पॉल जॉब्‍स और क्‍लारा ने गोद ले लिया था।

जब कुंभ में बीता था स्टीव जॉब्स का समय

भारत दौरे पर 1974 में जॉब्स कुछ समय हरिद्वार के कुंभ मेले में भी रूके थे। इसके बाद नैनीताल चले गए। नैनीताल में वह जहां ठहरे, वहीं उन्हें स्‍वामी योगानंद परमहंस की आत्‍मकथा, ‘ऑटोबायोग्रफी ऑफ ए योगी’ मिली। जिसे किसी टूरिस्ट ने छोड़ दिया था। जॉब्स ने उसे पढ़ा और उससे इतने प्रभावित हुए कि साल में एक बार उस बुक को जरूर पढ़ा करते थे।

गांव-गांव पैदल चले स्टीव जॉब्स

भारत में रहने के दौरान स्टीव जॉब्स गांव-गांव पैदल चलते थे। नीम करोली बाबा की कथाएं सुनते और ध्यान लगाते थे। जॉब्स करीब सात महीनों तक भारत में रहे थे और इसके बाद अमेरिका पहुंचे थे। जब वे घर पहुंचे तब उनकी ऐसी हालत हो गई थी कि मां भी पहचान नहीं सकी थीं।

स्टीव जॉब्‍स का निधन

जॉब्स की यह यात्रा यहीं नहीं रूकी थी। वह हिंदुत्व, बौद्ध और जैन में खुद की तलाश करते रहे। अपने आखिरी समय में उनका पल उनके दोस्‍त लैरी के साथ बीत रहा था। 5 अक्‍टूबर, 2011 को स्‍टीव जॉब्‍स की मौत कैंसर की वजह से हो गई। कहा जाता है कि जिस वक्त उनकी मौत हुई थी, उनके तकिए के नीचे बाबा नीम करोली का छोटी सी तस्वीर मिली थी।

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