सार
ChatGPT को एक तरफ तो फ्यूचर टेक्नोलॉजी बताया जा रहा है। दूसरी तरफ कई देश इसे खतरा मान रहे हैं और अपने यहां इस एआई चैटबॉट पर बैन लगा दिया है। वहीं, कुछ देश आने वाले समय में इस चैटबॉट को रोकने की प्लानिंग कर रहे हैं।
टेक डेस्क : दुनिया में इन दिनों सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा OpenAI का चैटबॉट ChatGPT को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं। कुछ लोग इसे फ्यूचर टेक्नोलॉजी बता रहे हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि यह खतरनाक हो सकता है। इस बीच दुनिया के 7 देश इस पर बैन लगा चुके हैं। खबर है कि जर्मनी भी आने वाले दिनों में इस एआई चैटबॉट को प्रतिबंधित कर सकता है। आइए जानते हैं किन-किन देशों में चैटजीपीटी पर बैन लग चुका है और इसके पीछे क्या कारण है?
इटली में ChatGPT बैन
ताजा मामला इटली (Italy) का है, जहां डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने प्राइवेसी को खतरे में बताते हुए इस AI चैटबॉट पर रोक लगा दी है। चैटजीपीटी के खिलाफ डेटा ब्रीच की एक शिकायत मिली थी। जिसमें बताया गया था कि यूजर्स दूसरे यूजर्स के चैटबॉट कन्वर्सेशंस देख पा रहे थे। इसके बाद डेटा प्रोटेक्शन वॉचडॉग- गैरेंते की तरफ से चैटजीपीटी की पैरेंट कंपनी OpenAI को यूजर्स के डेटा प्रॉसेसिंग को तत्काल बंद करने का आदेश दिया गया। OpenAI को 20 दिन का वक्त दिया या है। इतने समय में अगर कंपनी ऐसा नहीं करती है तो उस पर 21.7 मिलियन डॉलर यानी करीब 178 करोड़ रुपये का फाइन लगाया जा सकता है।
इटली से पहले इन देशों में चैटजीपीटी बैन
इटली से पहले 6 देशों में चैटजीपीटी बैन हो चुका है। इनमें चीन, रूस, ईरान, सीरीज और नॉर्थ कोरिया जैसे देश शामिल हैं। इन देशों की चिंता है कि चैटजीपीटी में गलत जानकारियां फैलाने का पोटेंशियल है। चूंकि OpenAI अमेरिकी कंपनी है। इसलिए भी चीन को लगता है कि अमेरिका चैटजीपीटी की मदद से पूरी दुनिया में गलत जानकारी फैला सकता है। विरोधी देशों के खिलाफ गलत नैरेटिव फैला सकता है। चीन में फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, गूगल, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया साइट्स पहले से ही बैन हैं।
रूस को किस बात का डर
चैटजीपीटी को लेकर रूस का कहना है कि इस तरह के AI जनरेटिव प्लैटफॉर्म्स का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। नॉर्थ कोरिया में इंटरनेट पर कौन क्या देख रहा है, इसकी भी मॉनिटरिंग की जाती है। ऐसे में चैटजीपीटी का वहां चलना नामुमकिन ही है।
बाकी देशों की चिंता
सीरिया, क्यूबा और ईरान में कड़े सेंसरशिप रेगुलेशन हैं।इन देशों में इंटरनेट पर सरकार का पूरी तरह से कंट्रोल है। यहां कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा हुआ है। ईरान की भी अमेरिका से नहीं बनती। ऐसे में ईरान अमेरिकी कंपनी के ऐप को अपने देश में चलाने का रिस्क नहीं ले सकता है।
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