सार

आंखों की रोशनी के लिए मोबाइल फोन को लगातार यूज करने से मना किया जाता है। इससे न सिर्फ आंखों पर बल्कि दिमाग पर भी असर होता है। इसलिए मोबाइल की स्क्रीन की ब्राइटनेस से आंखों को बचाने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

टेक डेस्क : अगर आप मोबाइल का यूज कर रहे हैं तो सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि लगातार फोन चलाना सेहत के लिए सही नहीं माना जाता है। फोन की ब्राइटनेस (Mobile Brightness Tips) आंखों के साथ दिमाग पर भी निगेटिव असर डालती है। हाल ही में कई ऐसे केस सामने आए हैं, जब मोबाइल की स्क्रीन से आंखों की रोशनी बुरी तरह प्रभावित हुई है। आइए जानते हैं आखों के लिए कितनी ब्राइटनेस परफेक्ट होती है?

मोबाइल की ब्राइटनेस कितनी होनी चाहिए

आंखों के लिए परफेक्ट ब्राइटनेस की बात करें तो अगर आप कमरे में बैठकर अंधेरे में मोबाइल चला रहे हैं तो ब्राइटनेस 30% तक होनी चाहिए। वहीं, बाहर सूरज की रोशनी में या धूप में बैठकर मोबाइल चला रहे हैं तो ब्राइटनेस 50% या 60% होनी चाहिए। जब कभी भी बाहर जाएं तो स्क्रीन अडॉप्टर ब्राइटनेस का इस्तेमाल करें। यहां आंखों के लिए ठीक मानी जाती है। इसलिए जितनी रोशनी हो, फोन की ब्राइटनेस भी उतनी ही होनी चाहिए।

आंख ही नहीं दिमाग को भी प्रभावित करती है ब्राइटनेस

हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि, कुछ लोगों की शिकायत मिलती है कि स्क्रीन ब्राइटनेस को मध्यम या तेज करने के बाद जब वे लंबे समय तक उसे चलाते हैं तो उनके दिमाग पर इसका असर पड़ता है। कई बार तो चक्कर भी आता है।

मोबाइल से आंखों को बचाने के टिप्स

अगर आप अपनी स्क्रीन की ब्राइटनेस से आंखों को सेफ रखना चाहते हैं तो ब्राइटनेस कम कर सकते हैं। नाइट मोड, ब्लू फिल्टर का यूज कर सकते हैं। नाइट मोड से फोन की ब्राइटनेस परफेक्ट सेट होती है और इसका असर आंखों पर नहीं पड़ता है। वहीं, ब्लू लाइट फिल्टर आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। रात में इससे स्क्रीन की ब्राइटनेस कम हो जाती है और तेज लाइट में यह आंखों की सेफ्टी करता है।

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