न्यायालय ने पाया कि चुनाव के बाद की हिंसा का निरीक्षण करने के लिए नियुक्त समिति द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने में विभिन्न अधिकारी विफल रहे हैं। साथ ही, हिंसा में घायल हुए कई लोगों को अपने इलाज में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।