पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर बाबा रामदेव को आड़े हाथ लिया है। रामदेव से मामले में कोर्ट ने पूछा है कि माफीनामा कितना बड़ा छपवाया था, लेंस लेकर तो नहीं देखना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार ने ड्रग्स और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, या डीएमआर से नियम 170 को क्यों हटा दिया, जो "जादुई" क्षमताओं वाले प्रोडक्ट्स के रूप में दवाओं के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मंगलवार को बाबा रामदेव को जमकर फटकार लगाई। इसी के साथ आदेश दिया कि वे बड़े साइज का विज्ञापन छपवाकर माफी मांगे।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से बाबा रामदेव को फिर झटका लगा है। पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट को अब सर्विस टैक्स देना होगा। पतंजलि ट्रस्ट की ओर दायर याचिका को कोर्ट खारिज कर दिया है और ट्रस्ट को जल्द ही सर्विस टैक्स भुगतान करने का आदेश भी जारी किया है।
बाबा रामदेव की भ्रामक विज्ञापन मामले में आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव को फिर फटकार लगाते हुए कहा है कि आपके रवैये में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। कोर्ट ने मामले में अगली तारीख दे दी है।
पतंजलि भ्रामक प्रचार मामले में सुप्रीम कोर्ट का रवैया सख्त हो गया है। कोर्ट ने बाबा रामदेव से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि तीन बार कोर्ट की अवमानना मजाक नहीं है। अंजाम तो भुगतना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को पतंजलि की ओर से भ्रामक प्रचार करने के मामले में फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे प्रचार बंद न किए तो एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा। बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है।
पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया है। उन्हें दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश होना है।
योग गुरु रामदेव के स्वामित्व वाले पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक और झूठे विज्ञापनों के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार आंखें बंद करके बैठी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन दावों के खिलाफ चेतावनी दी है। बेंच अब आईएमए की याचिका पर अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगी।