धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मई, सोमवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था।
शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 10 जून, गुरुवार को है।
इस बार 12 दिसंबर, शनिवार को शनि प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष फल मिलता है।
शनिदेव मनुष्य को उसके हर अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं, इसलिए उन्हें न्यायाधीश कहा जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा करने के बाद अगर तिल के तेल से आरती की जाए तो शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
आज (18 जुलाई, शनिवार) शनि प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष फल मिलता है।
इस बार 11 जनवरी, शनिवार को शनि पुष्य का शुभ योग बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार इस शुभ योग में अगर शनिदेव की पूजा और आरती की जाए तो शुभ फल मिलते हैं और शनिदेव को प्रकोप से भी बचा जा सकता है।
आज (30 अप्रैल, शनिवार) वैशाख मास की अमावस्या तिथि है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये तिथि शनिवार को होने से ये शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) कहलाएगी। इस दिन पितरों के साथ-साथ शनिदेव से संबंधित उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
Shani Pradosh 2022: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक व्रत है प्रदोष। ये व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। विभिन्न वारों के साथ मिलकर ये अलग-अलग योग बनाता है।